बिलासपुर, (सुदीप श्रीवास्तव) । पिछले सात हफ्तों से बिलासपुर-मुंगेली रोड क्षेत्र के दो जाने-पहचाने नाम कोविड -19 लॉकडाउन के बीच एक नियमित दिनचर्या का पालन कर रहे हैं।  इनका काम है थोक मात्रा में  50 से 200 किलो तक सब्जियां खरीदना और उन्हें गायों तथा दूसरे मवेशियों को खिलाना। इसी तरह वे बड़ी मात्रा में बिस्कुट, पाव और रोटी खरीदते हैं और उन्हें आवारा कुत्तों को खिलाते हैं। ये दोनों किसी भी पशु सेवा संगठन से संबद्धता नहीं रखते और न ही कोई फंडिंग करते हैं। वे मीडिया से भी शर्माते हैं और कुछ अनुनय के बाद बात करने के लिए सहमत हुए हैं।

विनय दुबे एक वकील और विल्सन साइमन टूर ऑपरेटर हैं। दोनों लगभग 50 साल के हैं और मध्यमवर्गीय परिवारों से हैं। बचपन के इन दोनों दोस्तों में प्रकृति के लिए एक जुनून है और उनकी पशुओं को आहार देने की दिनचर्या उसी का एक प्रतीक है। दुबे का कहना है कि गायों और सांडों के साथ-साथ पड़ोस के आवारा कुत्तों को पहले विभिन्न रेस्तरां में खाना मिल जाता था। वे देर रात तक यहां का जूठन चख लिया करते थे लेकिन जब 25 मार्च को देशव्यापी तालाबंदी लागू कर दी गई, तो रेस्तरां बंद होते ही उनको खाना मिलना बंद हो गया।

विनय दुबे के घर के करीब रहने वाले विल्सन ने देखा कि लॉकडाउन के 3-4 दिनों के भीतर गायों और कुत्तों का व्यवहार बदल गया है और वे उदास और व्यथित लग रहे हैं। जाहिर है, भोजन की कमी के कारण। दुबे याद करते हैं कि एक दिन उसने कुछ अतिरिक्त लौकी खरीदी थी, जिसे उसने एक गाय और एक बैल को खिलाया। विल्सन ने कुछ बासी रोटी कुत्तों को खिलाया। इस छोटे से अभ्यास से मिली संतुष्टि ने उन्हें अपने प्रयासों को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। अगले ही दिन दोनों विल्सन की टैक्सी में थोक सब्जी मंडी चले गए और ढेर सारी सब्जियां खरीदकर ले आये।

दोस्तों का कहना है कि कुछ दिनों के बाद जब थोक सब्जी विक्रेताओं को पता चला कि दोनों गायों को खिलाने के लिए अपना माल खरीद रहे हैं, तो वे दोनों को ‘विशेषाधिकार प्राप्त ग्राहक’ मानने लगे। व्यापारियों में से एक, राम स्वरूप कहते हैं, “इस तरह के खरीदार यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि जो भी सब्जियां बाज़ार में पहुंच रही हैं, वे हर हाल में बिक जाएं, चाहे उसकी कीमत कम ही क्यों न मिले।  उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के बाद से सब्जियों और खराब होने वाली दूसरे वस्तुओं के दाम गिर गये हैं।

ये दोनों दोस्त नियमित रूप से इन दिनों बड़ी मात्रा में सब्जियां, रोटी और बिस्कुट उचित दर पर खरीदकर अपने आस-पास के गायों, मवेशियों और कुत्तों को खिला रहे हैं।

(रिपोर्ट www.news18.com से साभार ली गई है।)

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