‘छत्तीसगढ़ के मरीजों के लिए सम्मेलन मील का पत्थर साबित होगा’

बिलासपुर। यूरोप में अंधत्व का मुख्य कारण एज रिलेटेड मैक्यूल डिजनरेशन परदे की बीमारी है। तीस फीसदी लोग परदे की बीमारी से अंधत्व के शिकार हो रहे है।

आशीर्वाद नेत्र चिकित्सालय के डायरेक्टर वे क्षेत्र के जाने-माने नेत्र विशेषज्ञ डॉ. एल. सी. मढ़रिया अंतराष्ट्रीय यूरोपियन सोसायटी के नेत्र विशेषज्ञों के 14 से 18 सितम्बर तक पेरिस में आयोजित 37वें सम्मेलन में भाग लेने गये थे। डॉ. मढ़रिया ने वहां से लौटकर बताया कि हमारे देश में अंधत्व का लगभग 50 प्रतिशत कारण मोतियाबिंद है पर यूरोप में सर्वाधिक 30 फीसदी मैक्युलर डिजनरेशन (AMD) परदे की बीमारी है। यह आयु बढ़ने पर आंखों में धब्बेदार विकार के रूप में प्रकट होता है। इसका मुख्य कारण, बढ़ते उम्र में खून की नली की कमजोरी, डायबिटिस व उच्च रक्त चाप है। सम्मेलन में यूएसए के डॉ. डी. गुडमैन, यू के के डॉ. एम. किसजा और स्पेन के डॉ. जे. एलियो ने विस्तार से इसके इलाज के लिए इंजेक्शन आदि के बारे में बताया।

डॉ. मढ़रिया ने बताया कि हमारे देश में भी 50 वर्ष से ऊपर के लोगों को मैक्युलर डिजनरेशन के कारण नौ प्रतिशत लोग अंधत्व का शिकार हो रहे है। डॉ. मढ़रिया ने बताया हमारे देश में अंधत्व के प्रमुख कारण मोतियाबिंद है, इसके ऑपरेशन के लिए एडवांस फेको व लैंस प्रत्यारोपण के बारे में यू के  के डॉ. डी. स्पालटन व जेप्टो ने तथा मोतियाबिंद के फेको ऑपरेशन के बारे में जेप्टो के निर्माता यूएसए के डॉ. डेविड एफ. चैंग ने बताया।

डॉ. मढ़रिया ने बताया विश्व में अंधत्व के कारण काँचबिंद, ग्लोकोमा व डायबिटिक रेटिनोपैथी के अत्याधुनिक इलाज व ऑपरेशन के बारे में शोध पत्र डॉ. जे. रोजेनबम (फ्रांस) ने पढ़ा। आस्ट्रिया के डॉ. एन. हिरनथाल ने कांचबिंद के इलाज के लिए विशेष वाल्व के बारे में बताया। यू एस के डॉ. एडमिसटन व इटली के डॉ. तोगनैटो ने डायबिटिस मैकुलर इडिमा से हो रहे अंधत्व से बचने के लिए इंजेक्शन रेनिजुमे के बारे में बताया।

आजकल बच्चों में हो रही पुतली के बीमारी “किरेटोकोनस” के बारे में डॉ. फ्रिंग ने बताया । यह 12 से 20 वर्ष के बच्चों में होता है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को चश्मा लगा रहता है, उसे इसकी जाँच समय से करानी चाहिए अन्यथा बच्चों में अंधत्व का खतरा रहता है।

डॉ. मढ़रिया ने बताया इस सम्मेलन में चश्मा उतारने की एडवांस लेसिक “लैटीक्यूल स्माइल” के बारे में विस्तार से जर्मनी के डॉ. मेमर ने बताया । ऑप्टिक एट्रोयी, रेटिनाइटिस थिगमेटोसा, एमब्लायोपिला, आंख के कैंसर व अन्य बीमारी जो अंधत्व के कारण है, के इलाज के बारे में विश्व के 170 देशों से आये नेत्र विशेषज्ञों ने अपने-अपने  शोध पत्र पढ़े। इस सम्मेलन में विश्व के लगभग 8 हजार  नेत्र विशेषज्ञों ने भाग लिया। डॉ. मढ़रिया ने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन से मिली जानकारी छत्तीसगढ़ के मरीजों के इलाज के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

 

 

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