गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्राणी शास्त्र विभाग के सह आचार्य डा. रोहित सेठ को मोटापे पर शोध हेतु भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 70 लाख की अनुदान राशि स्वीकृत हुई है।

डॉ. रोहित सेठ, सहायक-प्राध्यापक केन्द्रीय विवि।

मोटापा विकासशील और विकसित दुनिया दोनों में एक बड़ी चुनौती है और मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। दुनिया भर में मोटापे का प्रसार बढ़ गया है। इससे जीवन प्रत्याशा में कमी आने की आशंका भी होने लगी है। यह अनेक बीमारियों का कारण होता है जिनमें उच्च रक्तचाप, सांस की बीमारी, मधुमेह, किडनी से सम्बंधित बीमारियाँ प्रमुख हैं। खान-पान में अनियमितता और शारीरिक श्रम की कमी इसके कारणों में शामिल हैं। मोटापा बढ़ने के कई कारण हैं जिनमे मुख्य रूप से शारीरिक श्रम की कमी और खान पान की आदतों पर ध्यान ना दे पाना प्रमुख है। मोटे व्यक्तियों को जल्दी-जल्दी भूख भी लगती है। इस अवस्था को ‘लेप्टिन रेजिस्टेंस’ कहते हैं। लेप्टिन एक हॉर्मोन है जो शरीर में भूख नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाता है, किन्ही कारणों से जब लेप्टिन अपने रिसेप्टर से युग्मित नहीं हो पाता तो ‘लेप्टिन रेजिस्टेंस’ की अवस्था पैदा हो जाती है।

विश्व के कई शोध संस्थानों में इस विषय को लेकर कई गंभीर शोध परियोजनाएं चल रही हैं। वैज्ञानिक मोटापे के विभिन्न कारणों पर चिंतन कर रहे हैं।

कुछ शोध विषय जैसे शरीर में वसा का नियंत्रण कैसे बिगड़ जाता है? कैसे रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है? इन सभी परिवर्तनों का नियंत्रण शरीर में कहाँ से होता है? कौन सी औषधियां जो भूख पर नियंत्रण करने में सक्षम है? भूख का मस्तिष्क से क्या सम्बन्ध है? आदि।

डॉ. रोहित सेठ की प्रयोगशाला में हुए शोध कार्य से यह ज्ञात होगा कि मस्तिष्क से कैसे भूख का नियंत्रण होता है, मोटापे का मधुमेह और उच्च रक्तचाप से क्या सम्बन्ध है। दवा निर्माण कंपनियों के लिए यह शोध मील का पत्थर साबित हो सकता है।

डॉ. सेठ के नेतृत्व में आने वाले दिनों में एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन प्रस्तावित है। यह संगोष्ठी 28-30 अक्टूबर को गुरु घासीदास विश्वविद्यालय  में आयोजित की जायेगी। उक्त संगोष्ठी में भारत और विदेश से बहुत से वैज्ञानिक एवं चिकित्सकों के सम्मलित होने की सम्भावना है।

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