बिलासपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा से पेन्ड्रा-मरवाही इलाके में जश्न का माहौल है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनकी पत्नी डॉ. रेणु जोगी ने बघेल की भूरि-भूरि प्रशंसा की है लेकिन पेन्ड्रा-गौरेला-मरवाही जिला बनाने का निर्णय 21 साल पहले मध्यप्रदेश विधानसभा में लिया जा चुका था, जिस पर अब अमल हो रहा है। इससे बिलासपुर जिले का आकार भी सिमटकर रह जायेगा। अब प्रदेश के उन बाकी क्षेत्रों से भी जिला बनाने की मांग जोर पकड़ सकती है, जिसके लिए पहले से आंदोलन चल रहे हैं।

आदिवासी बाहुल्य पेन्ड्रा, गौरेला, मरवाही के लोगों की बहुप्रतीक्षित मांग पूरी हो गई है। स्वतंत्रता दिवस पर अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पेन्ड्रा-गौरेला-मरवाही नाम से एक नया जिला बनाने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही प्रदेश में अब 27 की जगह 28 जिले हो जायेंगे। वर्तमान जिला मुख्यालय बिलासपुर से पेन्ड्रा की दूरी 135 किलोमीटर तथा मरवाही की 150 किलोमीटर है। मरवाही विकासखंड का अंतिम ग्राम बेलझिरिया की दूरी जिला मुख्यालय से 240 किलोमीटर है। इस इलाके की भौगोलिक स्थिति के कारण करीब चार दशक से इसे अलग जिला बनाने की मांग होती रही है। इसके लिए अधिवक्ता संघ, सर्वदलीय नागरिक मंच आदि ने आंदोलन तो किये ही हैं, हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की जा चुकी थी। सभी राजनैतिक दल इस मांग का समर्थन तो करते रहे लेकिन जिले का निर्माण नहीं किया जा सका।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने कार्यकाल में नौ नये जिलों की घोषणा की थी लेकिन पेन्ड्रा-गौरेला-मरवाही को इसमें शामिल नहीं किया था। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी स्वयं इसी क्षेत्र से आते हैं, पर वे भी अपने तीन साल के कार्यकाल में इस मांग को पूरी नहीं कर पाये। दिलचस्प बात है कि मध्यप्रदेश विधानसभा में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला की पहल पर पेन्ड्रारोड को जिला बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था और इसके बाद तीन जुलाई 1998 को राजपत्र में जिला बनाने की अधिसूचना प्रकाशित भी की जा चुकी थी। इसी दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई थी, जिसके चलते अलग जिला बनाने के निर्णय पर विराम लग गया। अब पहली बार निर्वाचित कांग्रेस की सरकार ने 21 साल बाद इस बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा कर दिया है। जिले के नामकरण को लेकर भी खींचतान रही है, जिसे देखते हुए इसे पेन्ड्रा-गौरेला-मरवाही जिला के नाम से जाना जायेगा।

नये जिले की घोषणा होते ही गुरुवार सुबह से ही पेन्ड्रारोड में जश्न का माहौल है। लोगों ने रैलियां निकाली, मिठाईयां बांटी और आतिशबाजी की। पूर्व मुख्यमंत्री व मरवाही के विधायक अजीत जोगी आज सपत्नीक पेन्ड्रा में ही थे। उन्होंने इस घोषणा पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब उन्हें भरोसा हो गया है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की करनी और कथनी में कोई फ़र्क नहीं है, वे जो कहते हैं उसे पूरा करते हैं। कोटा की विधायक डॉ. रेणु जोगी ने कहा कि इस घोषणा से उनके जीवन का बहुत बड़ा संकल्प आज पूरा हो गया है।

नये जिले का कलेक्टोरेट गुरुकुल में बनाये जाने की संभावना है। वैसे यहां पहले से ही अतिरिक्त जिलाधीश, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के कार्यालय हैं, साथ ही जिला स्तर के कई संस्थान भी स्थापित हैं।

पेन्ड्रा को नया जिला बनाने से बिलासपुर जिले का तीसरी बार विभाजन हो चुका है। पहले बिलासपुर जिले के अधीन जांजगीर-चाम्पा, कोरबा और मुंगेली आते थे, जो अलग जिले बनाये जा चुके हैं। नये जिले में कोटा अनुभाग को शामिल किये जाने की संभावना नहीं है किन्तु कोटा विधानसभा के कुछ क्षेत्र नये जिले में आएंगे।

मुख्यमंत्री बघेल ने केवल एक जिले की घोषणा अपने आज के उद्बोधन में की है। हालांकि सारंगढ़, चिरिमिरी-मनेन्द्रगढ़, प्रतापपुर-वाड्रफनगर, पत्थलगांव, अम्बागढ़ चौकी, पृथक भाटापारा जिला बनाने की मांग लगातार होती रही है। इन स्थानों में अब जिला बनाने की मांग जोर पकड़ सकती है।

 

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