एसडीएम और जिला पंचायत सीईओ नोटिस जारी कर जवाब-तलब करेंगे

करगीरोड (कोटा)। जनपद पंचायत की बैठक के नाम पर घोंघा जलाशय के कृषक कुटीर में शराबखोरी करने वाले अधिकारी कर्मचारियों को जिला पंचायत सीईओ और एसडीएम कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला किया है।

कोटा घोंघा-जलाशय का कोरी डैम काफी प्रसिद्ध है। आसपास के इलाकों से लेकर दूर-दराज तक से पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। बड़े-बड़े अधिकारियों नेताओ व उनके परिवारों का आने जाने के अलावा बेहतर लोकेशन की वजह से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की शूटिंग तक यहां पर हो चुकी है।  पर पिछले दिनों घोंघा-जलाशय का कृषक कुटीर विश्राम गृह पर्यटकों के पर्यटन स्थल के नाम से नहीं सरकारी-अधिकारियों-कर्मचारियों व जनप्रतिनिधियों के लिए शराबखोरी का अड्डा बनने के नाम से चर्चा में आ गया है।

बीते बुधवार को जनपद पंचायत कोटा की संचार संकर्म सभा की बैठक जनपद के अधिकारियों ने जल संसाधन विभाग के कृषक कुटीर में आयोजित की गई थी। दोपहर में एक से डेढ घंटे चली बैठक के बाद कुछ जनपद सदस्यों और जनपद के शासकीय कर्मचारियों ने शराबखोरी की। शराब के साथ चिकन को चखना बनाकर पार्टी आयोजित की गई।

बैठक के लिए जनपद सभागार की बजाय इस कृषक कुटीर को क्यों चुना गया, जबकि बैठक में जनपद के सीईओ ही अनुपस्थित थे और कोटा एसडीएम को भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी? किसके आदेश पर बैठक की जगह बदली गई और सरकारी दस्तावेजों को कार्यालय से निकालकर रेस्ट हाउस में लाने कहा गया। जनपद सीईओ की गैर मौजूदगी में बैठक और बैठक स्थल की अनुमति किससे ली गई, जैसे कई सवाल हैं।

बताया जा रहा है कि बैठक मे आये अधिकतर लोगों का ध्यान बैठक में चर्चा करने के बजाए खाने पीने की तरफ ज्यादा था। आनन-फानन में बैठक समाप्त करने के बाद शासकीय रेस्ट हाउस को मयखाने  में तब्दील कर दिया गया।

बैठक की जानकारी लेने जब कोटा के मीडियाकर्मी जब कृषक कुटीर पहुंचे तो पूरा नजारा देखकर चौक गए। खाने के टेबल पर बैठे जनपद सदस्य मीडिया कर्मियों के सामने महंगी अंग्रेजी शराब की बोतल लहरा रहे थे। जनपद पंचायत कोटा के अधिकारी कर्मचारियों ने शराब के नशे में डूबे मीडियाकर्मियों से अभद्र व्यवहार किया। साथ ही खबर छापने पर देख लेने की धमकी तक दे डाली।

बड़े बाबू तो मीडिया का कैमरा देखकर आगे बढ़ने लगे। मीडिया के सवाल पूछने पर मीडिया कर्मी पर ही झल्लाने लगे। कैमरा देख आरईएस का अधिकारी अंग्रेजी शराब का गिलास टेबल के नीचे रख बाथरूम की तरफ भागने लगे। कुछ इंजीनियर बेशर्मी से मुर्गे की टांग के मजे लेते हुए शराब सेवन करते रहे। वहां कोटा वन विभाग के रेंजर कैमरे की लाइट पड़ी तो रुमाल निकालकर मुंह पर रखते हुए धीरे से निकल गए। जनपद पंचायत के बड़े बाबू संतोष चंद्राकर ने कहा कि कि यहां किसी भी प्रकार की बैठक यहां आयोजित नहीं थी।

दूसरी ओर सिंचाई विभाग के कृषक कुटीर के एसडीओ सुभाष भामरी ने अपने बयान में साफ-साफ कहा कि जनपद पंचायत से बैठक के लिए विधिवत पत्र प्रेषित किया गया है।  बैठक थी इसलिए इजाजत दी गई। यदि जनपद के बाबू की बात सही मान ली जाये तो यह सवाल भी खड़ा होता है पूरी जनपद पंचायत दोपहर 12 बजे शाम 6 बजे तक कार्यालयनीय अवधि के दौरान दफ्तर को छोड़कर कृषक कुटीर क्यों पहुंच गये थे।।

पूरे घटनाक्रम की जानकारी जिला पंचायत सीईओ रितेश अग्रवाल, एसडीएम डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी व एसडीओपी अभिषेक नारायण सिंह को दी गई है। उन्होंने सम्बन्धित लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी करने और कार्रवाई करने की बात कही है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री अशोक तिवारी का कहना है कि वे बाहर हैं, वापस आकर घटना की जानकारी लेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे।

 

 

 

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