कहा- नये वार्डों के निर्धारण में जनप्रतिनिधियों को अंधेरे में रखा गया

बिलासपुर। भाजपा नेता व नगर निगम के पूर्व मनोनित पार्षद मनीष अग्रवाल ने वार्डों के परिसीमन में डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नाम को गायब करने पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों को जोड़ने के बाद 70 वार्डों में किया गया परिसीमन जनप्रतिनिधियों और जनता दोनों के मन में भ्रामक स्थिति पैदा कर रही है।

अग्रवाल ने कहा कि नये परिसीमन के वार्डों के नाम अनेक महापुरुषों और क्षेत्र के शख्सियत की स्मृति में रखे गये हैं, जो सराहनीय है लेकिन आजादी के बाद से नगर पालिका से लेकर नगर निगम तक में शामिल डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम विलुप्त करना एक बड़ी गलती है। सभी राजनीतिक दल उनका अनुसरण करते हैं और उनके संविधान के अनुसार चलते हैं ऐसे में उनके नाम को भुला दिया जाना दुर्भाग्यजनक है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से वार्ड विभाजन किया गया है उससे भविष्य में नगर-निगम की राजनीति ‘जिसकी लाठी, उसकी भैंस’ के तर्ज पर चलेगी, ऐसा प्रतीत होता है। राजनैतिक दलों के नेता कार्यकर्ताओं को अंधेरे में रखकर वर्तमान परिसीमन किया गया है। बिलासपुर नगर निगम से राजनीति का सफर शुरू करने वाले विभिन्न दलों के दिग्गज नेताओं के अलावा बिलासपुर और आसपास की विधानसभा के भी निकाय और पंचायतें इसमें शामिल हो गई हैं, जिनका प्रतिनिधित्व अब केवल 70 वार्डों में सिमट कर रह जायेगा। अब नगरीय निकाय और पंचायतों के प्रमुख पदों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं को सिर्फ वार्ड की राजनीति करने का अवसर मिलेगा। यह जनादेश से तय होगा कि जनता किन्हें अपना प्रतिनिधि अगले चुनाव में तय करेगी लेकिन नये नगर निगम में जनता की सुनवाई होगी, उनका काम भली भांति हो सकेगा या नहीं यह सवाल बना हुआ है। वर्तमान में जिस तरह का प्रशासकीय सेटअप है उसमें सभी महत्वपूर्ण विभागों में अधिकारी कर्मचारियों की कमी बनी हुई है। चाहे वह सफाई का हो, जल, प्रकाश या सिविल वर्क का हो नगर निगम सक्षम होगा या नहीं देखना होगा। आने वाले समय में नई भर्तियां, नया निर्माण, मूलभूत आवश्यक सेवा, नियमित चलने वाले कार्य के लिए नये सेट अप की आवश्यकता होगी, इसके अलावा इन कार्यों के लिए राशि का आबंटन भी बढ़ाना होगा अन्यथा नये नगर निगम का प्रदर्शन और भी विफल हो सकता है।

 

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