वनमाली सृजन पीठ में मनाया गया स्थापना की प्रथम वर्षगांठ

देश के कई राज्यों से आए रचनाकारों ने किया रचना पाठ

बिलासपुर।  वनमाली सृजन पीठ के एक वर्ष पूरे होने पर सृजन पीठ में प्रथम वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रदेश और देश से आए रचनाकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। साथ ही साल भर की गतिविधियों को साझा करते हुए, आगामी वर्ष में किए जाने वाले कार्यक्रम और कार्यों के बारे में जानकारी भी प्रदान की गई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि कलेक्टर और साहित्यकार डॉ संजय अलंग ने कहा कि किस्से कहानी सुनना-सुनाना अलग बात है,  लेकिन अब कला-संस्कृति और साहित्य को जन अभियान बनाना होगा। पाठकों की लंबी श्रृंखला तैयार करनी होगी, तभी हम साहित्य, कला-संस्कृति को भावी पीढ़ी के पास आदर्श रूप में दे पाएंगे।  उन्होंने कहा कि रचनात्मकता को जब हम नीचे की ओर ले जाते हैं तो वह कुंठित विचारधारा का रूप ले लेती है इसलिए हमें रचना को सकारात्मक रूप में ऊपर की ओर ले जाना है।

इस अवसर पर उपस्थित कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. सी वी रामन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि कला और साहित्य के विकास से ही देश का विकास होता है। कला -संस्कृति और साहित्य से विचारधाराएं बदली जाती हैं । हमें अपने देश को विकास की दिशा में ले जाने के लिए कला और साहित्य को साथ लेकर चलना होगा । तभी हम समाज को नई दिशा दे पाएंगे। कार्यक्रम में वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष सतीश जायसवाल ने बीते एक वर्षों के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि हमने इस दौरान एक नए परिवार का निर्माण किया है। साहित्य की चिंता को वैचारिकता की ओर मोड़ने का कार्य किया है। हम रचना का विकास करना चाहते हैं , किसी द्वंद की ओर नहीं जाना चाहते।

इस अवसर पर दुनिया इन दिनों के संपादक सुधीर सक्सेना ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम में जितेंद्र चौधरी ने अपनी कहानी का पाठ किया। कार्यक्रम में प्रदेश से आए रचनाकारों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर शहर के साहित्य प्रेमी, रचनाकार, डॉ सी वी रामन विश्वविद्यालय के अधिकारी-कर्मचारी, प्राध्यापक सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।

इस अवसर पर उपस्थित डॉक्टर सी वी रामन विश्व विद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि आधुनिकीकरण की दौड़ में हम अपने साहित्य को पीछे छोड़ते जा रहे हैं, जो समाज की संस्कृति की आत्मा होती है । वनमाली सृजन पीठ की स्थापना का उद्देश्य यह है कि, हम नए रचनाकारों को मंच प्रदान करें और वरिष्ठ रचनाकारों का अनुभव लेकर एक साहित्यिक पीढ़ी का निर्माण करें।

 

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