बिलासपुर। हवाई सेवा संघर्ष समिति ने आज राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा से अपील की है कि वे बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास और महानगरों तक सीधी उड़ान के लिए केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और रक्षा मंत्री से मिलकर बिलासपुर के हितों के रास्ते में आने वाली बाधायें दूर करने के लिये सार्थक प्रयास करें।

बिलासपुर प्रवास पर पहुंची सांसद वर्मा को सौंपे गये ज्ञापन में समिति ने कहा है कि छत्तीसगढ़ का निर्माण सन् 2000 में किया गया था। तब विकास में संतुलन एवं जनाकांक्षाओं के सम्मान के लिये रायपुर को राजधानी व बिलासपुर  को न्यायधानी का दर्जा दिया गया। किन्तु गत 20 वर्षों में रायपुर की तो पर्याप्त प्रगति हुई परन्तु बिलासपुर के विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। बिलासपुर में हवाई सेवा के लिये  210 दिन से अखण्ड धरना आंदोलन किया जा रहा है और इसमें मुंगेली और जांजगीर जिले के लोग भी सम्मिलित हुए हैं।

वर्ष 2010 में भारतीय सेना ने बिलासपुर हवाई अड्डे के पास 1012 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर ट्रेनिंग सेन्टर व हवाई अड्डे के विकास प्रस्ताव सामने रखा परन्तु बाद में यह प्रोजेक्ट सेना ने ड्रॉप कर दिया और आज तक इस पर कोई काम नहीं किया है।

वर्तमान में बिलासपुर एयरपोर्ट का रनवे 1500 लम्बा है जो 72 व 78 सीटर विमानों हेतु उपयुक्त है परन्तु बोईंग/एयरबस हेतु 2300 मीटर का रनवे चाहिये। इस हेतु भूमि भारतीय सेना के कब्जे मे पर बिना किसी उपयोग के पड़ी हुई है। अतः केन्द्र सरकार को बिलासपुर एयरपोर्ट रनवे विस्तार हेतु अपने कब्जे की 1012 एकड़ भूमि में से 150 एकड़ भूमि दिये जाने की आवश्यकता है और इसके बदले अन्य भूमि सेना ले सकती है।

इसी तरह बिलासपुर से वर्तमान में भोपाल तक एक उड़ान स्वीकृत की गई है। वस्तुतः क्षेत्र के लोगों की मांग बिलासपुर से दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद, पुणे, बैंगलोर तक सीधी हवाई सुविधा की है। यह सभी महानगर बिलासपुर से 600 कि.मी. से अधिक दूरी पर है और उड़ान 4.0 योजना के तहत वी.जी.एफ सब्सिडी इस वर्ष 600 कि.मी. से कम दूरी की उड़ानों के लिये ही स्वीकृत की जा रही है। जबकि उड़ान 1.0, उड़ान 2.0 उड़ान 3.0 योजना में यह सब्सिडी 2000 कि.मी. तक की उड़ानो हेतु दी गई है। वर्तमान में भी उत्तर पूर्वी आदिवासी राज्यों के लिये यह बाध्यता नहीं है। अतः अनुरोध है कि छत्तीसगढ़ को आदिवासी बहुल राज्य मान कर यहां भी वी.जी.एफ सब्सिडी के लिये 600 कि.मी. की बाध्यता समाप्त की जाये और बिलासपुर से सीधी उड़ान महानगरों तक स्वीकृत की जाये।

बिलासपुर-भोपाल उड़ान अलायंस एयर कम्पनी की एटी.आर. 600 के द्वारा संचालित होगी। स्वीकृति के बाद भी इस उड़ान की शेड्यूलिंग नहीं की गई है और इसका टाइम टेबल भी जारी नहीं हुआ है। जगदलपुर विमानतल पर बिना 3सी लायसेंस के रायपुर-जगदलपुर-हैदराबाद अलायंस एयर की उड़ान की अनुमति केन्द्र सरकार के द्वारा दी गई और यह उड़ान संचालित है। इसी तरह बिलासपुर एयरपोर्ट जो 3सी श्रेणी के सभी मानकों को पूरा करता है और लायसेंस लंबित है, वहां भी बिलासपुर-भोपाल उड़ान को अनुमति दी जा सकती है। यही उड़ान आगे विस्तार के रूप में दिल्ली तक दिल्ली तक जा सकती है।

कैट बिलासपुर ईकाई धरने पर बैठा

हवाई सुविधा जनसंघर्ष समिति के अखण्ड धरना आंदोलन के 209वें दिन 23 दिसम्बर को कॉन्फिडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स बिलासपुर ईकाई ने आंदोलन में भागीदारी की। कैट के पदाधिकारियों ने बिलासपुर के विकास और रोजगार व्यवसाय के लिये महानगरों से सीधी हवाई सुविधा को आवश्यक बताया।

कैट की ओर से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेन्द्र गांधी ने कहा कि बिलासपुर में व्यापार व्यवसाय की असीम संभावनाएं है परन्तु यातायात के साधनों में पर्याप्त प्रगति न होने के कारण  हम लोग पिछड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के सर्वागीण विकास के लिये यह आवश्यक है कि रोजगार व्यवसाय के अवसर केवल रायपुर में ही केन्द्रित न रहे बल्कि राज्य के अन्य हिस्सो में भी वितरीत हो।

कैट के जिलाध्यक्ष किशोर पंजवानी ने स्थानीय सांसद और विधायक की भूमिका पर सवाल उठाया और कहा कि आज उनको सड़क पर आंदोलन करना चाहिये जो कि आम जनता कर रही है। कैट के शहर उपाध्यक्ष श्रीकांत पाण्डेय ने जोशीला वक्तव्य देते हुये हर संघर्ष में साथ देने का भरोसा दिलाया। सभा को कैट के ही सुभाष अग्रवाल, राकेश शर्मा, हाईकोर्ट में प्रथम याचिकाकर्ता कमल दुबे आदि ने भी संबोधित किया।

धरने में हाईकोर्ट में हवाई सुविधा के लिये जनहित याचिका लगाने वाले प्रथम याचिकाकर्ता पत्रकार कमल दुबे अपने वयोवृद्ध पिता नारायण प्रसाद दुबे संरक्षक सी.एम दुबे कॉलेज समिति के साथ पहुंचे। सभा का संचालन गोपाल दुबे के द्वारा किया गया वही सभा में मनोज तिवारी, ब्रम्हदेव सिंह ठाकुर, मनोज श्रीवास, उमेश मौर्य, रामा बघेल, केशव गोरख, राजू सलूजा, अनिल गुप्ता, परमजीत सिंह, सुशील छाबड़ा, सुरेन्द्र अजमानी, हीरानंद जयसिंह, संतोष साहू, रघुराज सिंह आदि भी सम्मिलित हुए।

 

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