बिलासपुर। मरवाही वन मंडल में कल रात से 12 हाथियों का एक झुंड विचरण कर रहा है। यह दल अचानमार अभयारण्य में करीब 40 दिनों तक रुका रह गया क्योंकि एक हथिनी ने शावक को जन्म दिया था। झुंड तब तक रुका रहा जब तक वह चलने लायक नहीं हो गया। यह नवजात हाथी अपनी मां और झुंड के साथ-साथ चल रहा है। मरवाही इलाके में इस झुंड का एक हाथी बिछुड़ गया है जिसके लोकेशन का पता भी नहीं चला रहा है। इसे लेकर वन विभाग सतर्क है और आसपास के ग्रामीणों में चिंता है।

हाथियों का दल वही है जो अक्सर कोरबा, पसान, मरवाही और अचानकमार के जंगलों में विचरण करते पाया जाता है। बीते 40 दिनों से इन्होंने अचानकमार अभयारण्य में डेरा डालकर रखा था। ये आगे इसलिये नहीं बढ़े क्योंकि एक हथिनी ने गज-शावक को जन्म दिया। बहुत छोटा होने के कारण वह झुंड के साथ लगातार चलने में असमर्थ था। हाथियों का झुंड कल अपने पड़ाव से आगे बढ़ा था जो कल रात यहां पहुंचने के बाद मरवाही के जंगलों में विचरण कर रहा है। इस दल के पसान की तरफ बढ़ने का अनुमान है, जो उनका पहले से ही पहचाना हुआ रास्ता है। मगर वे इस समय देवरीखुर्द के पास रुके हुए हैं। दरअसल, इनके झुंड से एक हाथी रास्ता भटककर अलग हो गया है।

मरवाही के वनमंडलाधिकारी राकेश मिश्रा ने बताया कि अलग हुए हाथी का इस समय कहां है, इसका पता नहीं चल रहा है। इसके पहले उसे भर्रीडांड के पास देखा गया था। यह हाथी झुंड के साथ मिल जाये इसका प्रयास किया जा रहा है क्योंकि अलग रहने पर इसका बर्ताव खतरनाक हो सकता है। ग्रामीण भी इस हाथी की मौजूदगी को लेकर चिंतित हैं। हाथियों के झुंड ने अब तक ग्रामीणों की फसल या झोपड़ियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। उनके कटघोरा वन मंडल के पसान की ओर बढ़ने की संभावना है।

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