बिलासपुर। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने राज्य शासन की उस रिट याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें देवती कर्मा सहित पांच लोगों की गवाही के लिए आवेदन को निरस्त करने के आयोग के आदेश को चुनौती दी गई थी।

मालूम हो कि 25 मई 2013 को हुए झीरम घाटी नक्सल हमले की जांच के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा का एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग तत्कालीन भाजपा सरकार ने किया था। आयोग ने अंतिम सुनवाई के पूर्व आम सूचना जारी करते हुए कहा था कि आयोग के समक्ष यदि कोई भी अन्य व्यक्ति आकर कोई जानकारी या गवाही देने का इच्छुक है तो वह आवेदन कर सकता है। इस दौरान आये गवाही के आवेदनों की सुनवाई आयोग ने कर ली। आयोग ने अंतिम सुनवाई बीते साल 2019 में 11 अक्टूबर को की। इसके बाद आयोग के समक्ष झीरम हमले में दिवंगत कांग्रेस नेता महेन्द्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा, बेटी तूलिका वर्मा, कांग्रेस नेता डॉ. चुलेश्वर चंद्राकर, हर्षद मेहता व सुरेन्द्र शर्मा की गवाही के लिए राज्य शासन की ओर से आवेदन प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में गुरिल्ला वार स्कूल के अधिकारी बीके पोनवार को बयान के लिए बुलाने की मांग की गई। आयोग ने अंतिम सुनवाई से निर्धारित समय के बाद आवेदन प्रस्तुत करने के आधार पर इस आवेदन को खारिज कर दिया। शासन ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। राज्य शासन की याचिका को जस्टिस पी. सैम. कोशी की सिंगल बेंच ने खारिज कर दी। इसके बाद डबल बेंच में राज्य शासन की ओर से रिट याचिका दायर की गई। बीते 21 जनवरी को चीफ जस्टिस पी.आर. रामचंद्र मेनन और जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को आये फैसले में हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराते हुए राज्य शासन की याचिका को खारिज कर दिया है।

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