बिलासपुर। मारपीट के मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे उप महाधिवक्ता रजनीश सिंह बघेल की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर निर्णय देते हुए हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 30 दिन के भीतर शासन को पुनर्विचार कर फैसला लेने का निर्देश दिया है,साथ ही यह सुनिश्चित करने कहा है कि इस तरह के पदों पर नियुक्ति के पूर्व आपराधिक मामलों की जांच-पड़ताल कर ली जाये।

राज्य शासन ने 2 जनवरी 2019 को रजनीश सिंह बघेल को उप-महाधिवक्ता के पद पर नियुक्त किया था। इस नियुक्ति के खिलाफ हाईकोर्ट के अधिवक्ता उत्तम पांडेय ने मुख्यमंत्री तथा विधि मंत्री को पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि बघेल के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं, इसलिये उनकी नियुक्ति निरस्त की जाये।

राज्य शासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट की एकल पीठ में अधिवक्ता उत्तम पांडेय ने इस नियुक्ति के खिलाफ याचिका दायर की। एकल पीठ ने 14 मई 2019 को यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि बघेल के विरुद्ध मामूली झगड़े का अपराध दर्ज है। उसके ऊपर कोई भ्रष्टाचार का मामला नहीं चल रहा है। सिंगल बेंच ने पांडेय की याचिका खारिज कर दी।

सिंगल बेंच के आदेश के विरुद्ध अधिवक्ता पांडेय ने रिट याचिका दायर की, जिसकी सुनवाई चीफ जस्टिस पी.आर. रामचंद्र मेनन और जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की बेंच में हुई। याचिकाकर्ता ने बताया कि जिस व्यक्ति को उप-महाधिवक्ता नियुक्त किया गया है उसके विरुद्ध 294, 506 और 323 का अपराध दर्ज है। हाईकोर्ट बार एसोसियेशन का संयुक्त सचिव रहने के दौरान उन्होंने हमले और मारपीट की घटना को अंजाम दिया था। अपराध के इस मामले में शासन ही अभियोजन पक्ष है। ऐसी परिस्थिति में शासन की ओर से ऐसे किसी व्यक्ति को उप-महाधिवक्ता नहीं बनाया जा सकता। याचिकाकर्ता ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के विश्वेश्वर सिंह चहल के मामले का उल्लेख भी किया।

डबल बेंच ने इस पर बुधवार को फैसला देते हुए इस पर राज्य शासन को निर्देश दिया है कि 30 दिन के भीतर उप- महाधिवक्ता पद पर रजनीश सिंह बघेल की नियुक्ति को लेकर निर्णय ले और साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा है कि आगे भी ऐसे पदों पर कोई नियुक्ति की जाये तो सम्बन्धित से बायोडेटा लिया जाये और उनके आपराधिक रिकॉर्ड्स की जांच कर ली जाये।

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