बिलासपुर। प्रदेश के जेलों में बंद कैदियों का 50 प्रतिशत पारिश्रमिक पीड़ित पक्ष को भुगतान करने को लेकर लगाई गई जनहित याचिका पर शासन ने सिर्फ दुर्ग केंद्रीय जेल का विवरण दाखिल किया। याचिकाकर्ता ने पूरे प्रदेश की स्थिति दाखिल करने की मांग की, जिस पर हाईकोर्ट ने दो सप्ताह बाद सुनवाई रखी है।

मुंगेली के विधि छात्र संजय साहू ने अधिवक्ता सरीना खान के माध्यम से एक जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश की जेलों में बड़ी संख्या में बंदी सश्रम कारावास काट रहे हैं। जेल प्रशासन की ओर से इनको हर माह श्रम के बदले पारिश्रमिक दिया जाता है। इस राशि का 50 प्रतिशत पीड़ित पक्ष के परिजनों को भेजने का प्रावधान है मगर इसका पालन नहीं हो रहा है।

इसके चलते पीड़ित पक्ष के स्वजनों को समय पर राशि नहीं मिल पा रही है। इस मामले पर सुनवाई करीब एक साल पहले चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई थी। तब शासन को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया था। कोरोना महामारी के चलते इस पर आगे सुनवाई नहीं हो सकी। साल भर बाद डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान शासन ने जवाब देने के लिए समय मांग लिया था। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी और जवाब देने का अंतिम अवसर दिया था। शासन ने अपना जवाब प्रस्तुत करते हुए दुर्ग सेंट्रल जेल की जानकारी दी है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर कहा कि हमें पूरे प्रदेश की जानकारी दी जानी चाहिए इस पर हाईकोर्ट ने 2 सप्ताह बाद सुनवाई रखी है।

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