एसआईटी ने लगाई है आवाज का नमूना लेने के लिए याचिका, सिंगल बेंच में हुई सुनवाई

बिलासपुर। चर्चित अंतागढ़ टेपकांड में वाइस सैंपल लेने की मांग पर दायर राज्य शासन की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह व अजीत जोगी, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, अमित जोगी, पुनीत गुप्ता, व मंतूराम पवार को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट में जस्टिस शरद कुमार गुप्ता की बेंच से यह नोटिस जारी की गई है। इस मामले में एक आरोपी मंतूराम पवार ने घटना को कबूल किया है और उसने वाइस सैम्पल देने पर सहमति भी जताई है। अंतागढ़ कांड की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अन्य आरोपियों द्वारा वाइस सैम्पल देने से मना करने पर विशेष न्यायालय में आवेदन लगाया था। विशेष जांच दल का कहना था कि चूंकि आरोपी पवार ने स्वयं अपनी आवाज और इस घटना का होना स्वीकार किया है अतएव, इस घटना से जुड़े बाकी लोगों को वाइस सैम्पल महत्वपूर्ण साक्ष्य हो सकता है। रायपुर की विशेष अदालत ने बीते 19 सितम्बर को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, उनके दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, उनके बेटे अमित जोगी, व पूर्व मंत्री राजेश मूणत का वाइस सैंपल लेने के एसआईटी के आवेदन को खारिज कर दिया था। इसके बाद एसआईटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

मालूम हो कि सन् 2014 में तत्कालीन विधायक विक्रम उसेंडी ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अंतागढ़ विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया था। इसके बाद वहां उप-चुनाव की घोषणा हुई। नामांकन दाखिले की समय-सीमा समाप्त होने के तुरंत बाद उप-चुनाव के कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार ने अपना नाम वापस ले लिया था। कांग्रेस के पास कोई दूसरा उम्मीदवार खड़ा करने का विकल्प नहीं था। कई अन्य उम्मीदवारों ने भी नाम वापस ले लिया,जिसके चलते एकतरफा चुनाव में भाजपा के भोजराज नाग विधायक निर्वाचित हुए। बाद में एक आडियो वायरल हुआ जिसमें कथित रूप से फिरोज सिद्दीकी के साथ अन्य लोगों की आवाज है। इसमें जाहिर हुआ है कि मंतूराम पवार की नाम वापसी के लिए बड़ी रकम की लेन-देन हुई थी। बाद में पवार ने स्वयं एक पत्रकार वार्ता लेकर पूर्व मंत्री राजेश मूणत के निवास पर साढ़े सात करोड़ रुपये की डील होने की बात कही। उन्होंने उन सभी लोगों पर गंभीर आरोप लगाये हैं, जिनका वाइस सैम्पल एसआईटी लेना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि अंतागढ़ केस सहित अन्य मामलों में एसआईटी के गठन की वैधता और उसके औचित्य पर सवाल उठाते हुए याचिकाएं हाईकोर्ट में अलग से दायर की गई हैं, जिन पर सुनवाई की प्रक्रिया जारी है।

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