राजनांदगांव। कोरोना संक्रमण से बचाव संबंधी उपायों के साथ जिले भर में इन दिनों आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण सप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान आयोडीन का शरीर के लिए महत्व बताकर आयोडीन की कमी की वजह से होने वाले रोगों के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। इन गतिविधियों को सफलतापूर्वक संपन्न करने हेतु आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका व मितानिनों को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।

आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण सप्ताह के तहत विभिन्न माध्यमों से लोगों को यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि अच्छी सेहत के लिए शरीर में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा जरूरी है।

अन्यथा आयोडीन की कमी होने से कई तरह के रोग होते हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के लिए आयोडीन जरूरी पोषक तत्वों में से एक है, इसके बावजूद लोगों को जानकारी नहीं होने के कारण आयो़डीन अल्पता विकार एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बन गया है।

इसी के मद्देनजर 21 अक्टूबर को प्रतिवर्ष वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष कोविड-19 महामारी को देखते हुए जिले में 21 अक्टूबर से कोरोना वायरस और आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण सप्ताह मनाया जा रहा है, इस दौरान 27 अक्टूबर तक जनजागरूकता से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण के अंतर्गत सबसे पहले शहर के लखोली वार्ड स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका, मितानिनों व वार्ड पार्षद की मौजूदगी में स्थानीय लोगों को शरीर में आयोडीन की पर्याप्त उपलब्धता से होने वाले फायदे तथा आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी,

साथ ही कोरोना संक्रमण की रोकथाम के उपाय बताए। उन्होंने बताया, आयोडीन की कमी का सर्वाधिक असर गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को होता है। गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात, नवजात शिशुओं का वजन कम होना,शिशु का मृत पैदा होना और जन्म लेने के बाद शिशु की मृत्यु होना आदि होते हैं।

वहीं शिशु में आयोडीन की कमी से बौद्धिक और शारीरिक विकास समस्याएं जैसे मस्तिष्क का विकास धीमा होना, शरीर का कम विकसित होना, बौनापन, देर से यौवन आना, सुनने और बोलने की समस्याएं तथा समझ में कमी आदि समस्याएं होती हैं। इसी तरह कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क, शारीरिक दूरी और सैनिटाइजर आवश्यक है। इस संबंध में सीएमएचओ राजनांदगांव डा.मिथलेश चौधरी ने बताया, आयोडीन अल्पता विकार एवं आयोडीन युक्त नमक एवं खाद्यपदार्थों के सेवन के प्रति जनजागरूकता बेहद जरूरी है।

इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए जिले में आयोडीन अल्पता विकार निवारण सप्ताह मनाया जा रहा है। सभी ब्लाक में भी 21 से 27 अक्टूबर के बीच वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण सप्ताह अंतर्गत जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने हेतु दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में विशेष रूप से आयोडीन युक्त नमक एवं खाद्यपदार्थों के सेवन के प्रति जनजागरूकता के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया है।

आयोडीन का महत्व

आयोडीन सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो मानव वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। आयोडीन बढ़ते शिशु के दिमाग के विकास और थायराइड प्रक्रिया के लिए अनिवार्य माइक्रो पोषक तत्व है। आयोडीन शरीर के तापमान को नियमित करता है, विकास में सहायक है और भ्रूण के पोषक तत्वों का एक अनिवार्य घटक है। आयोडीन मन को शांति, तनाव में कमी, मस्तिष्क को सतर्क रखने और बाल, नाखून, दांत तथा त्वचा को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है। शरीर में आयोडीन की कमी से मुख्य रुप से घेंघा रोग होता है।

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