बिलासपुर। झीरम घाटी हमले की जांच के लिए गठित नये आयोग को आज संबंधित पक्षों की ओर से वकालतनामा प्रस्तुत किया गया। आयोग की अगली सुनवाई अब 7 मई को रायपुर में निर्धारित की गई है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने झीरम घाटी हमले की जांच में छूटे गए तथ्यों की जांच के लिए पांच माह पहले एक नया आयोग जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था। इसमें जस्टिस मिन्हाजुद्दीन सदस्य के रूप में शामिल हैं। आयोग का कार्यकाल 6 माह निर्धारित किया गया है। मंगलवार को सर्किट हाउस में आयोग ने प्रारंभिक सुनवाई की। आयोग के समक्ष कांग्रेस नेता जितेंद्र मुदलियार और निखिल द्विवेदी की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव व देवेन्द्र प्रताप सिंह ने शपथ पत्र के साथ वकालतनामा पेश किया, जबकि राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता सुदीप अग्रवाल ने वकालतनामा पेश किया।

ज्ञात हो कि 25 मई 2013 के झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सल हमला हुआ था, जिसमें कांग्रेस के 30 से अधिक बड़े नेताओं की मौत हो गई थी। इस घटना की जांच के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था, जिसने छत्तीसगढ़ से आंध्रप्रदेश स्थानांतरण के पूर्व अपनी रिपोर्ट बीते साल राज्यपाल को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद राज्य की मौजूदा सरकार ने पाया कि आयोग ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को जांच में शामिल नहीं किया है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करते हुए राज्य सरकार ने दो सदस्यीय नया आयोग गठित किया है।

आयोग को इन तीन बिंदुओं पर जांच करनी है- क्या हमले के बाद पीड़ितों को समुचित चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई गई। हमले के बाद ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या समुचित कदम उठाए गये? और अन्य महत्वपूर्ण बिंदु जो परिस्थितियों के मुताबिक आयोग निर्धारित करे।

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