बिलासपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने रिटायर तहसीलदार पतरस तिर्की द्वारा अदालत में दिये गए उस शपथ पत्र को झूठा बताया है जिसमें कहा गया है कि उन्होंने सन् 1967 और 1986  में जोगी के लिए कोई जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है।
जोगी ने आज तिर्की का वह पुराना शपथ पत्र जारी किया, जिसमें स्वीकार किया गया है कि उन्होंने ही जाति प्रमाण पत्र जारी किये।

बिलासपुर के सिविल कोर्ट में बुधवार को नेहरू नगर निवासी 84 वर्षीय रिटायर तहसीलदार पतरस तिर्की ने एक शपथ पत्र दाखिल कर कहा है कि 1967 और 1986 में उन्होंने अजीत जोगी के लिए कंवर जाति का कोई प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया। यदि ऐसा कोई दस्तावेज दिखाया जाता है तो वह झूठा व असत्य है। तिर्की का कहना है कि 1967 में पेन्ड्रा-गौरेला में नायब तहसीलदार कार्यालय का अस्तित्व ही नहीं था, फिर वे वहां पदस्थ होकर प्रमाण-पत्र जारी कैसे करते।

तिर्की के इस दावे को गलत बताते हुए अजीत जोगी ने आज कुछ दस्तावेज जारी किये हैं। उन्होंने शपथ पत्र की प्रतिलिपि दिखाते हुए बताया है 6 मार्च 2002 को पतरस तिर्की ने इसमें स्वीकार किया है कि वे सन् 1967 में नायब तहसीलदार तथा सन् 1986 में तहसीलदार के रूप में पेन्ड्रारोड में पदस्थ थे। उन्होंने शासन द्वारा प्रचलित नियमों के तहत जांच पड़ताल कर 6 जून 1967 को तथा 6 मार्च 1986 को अजीत जोगी के लिए कंवर जाति का प्रमाण पत्र जारी किया था। उक्त दोनों प्रमाण पत्रों में मेरे ही हस्ताक्षर हैं।

इसके अलावा जोगी ने शहडोल पुलिस द्वारा शहडोल के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को दिये गये जांच प्रतिवेदन के प्रतिलिपि भी जारी की है। इसमें पुलिस ने न्यायालय के समक्ष जांच रिपोर्ट दी है कि 1967 में अजीत जोगी के लिए जारी जाति प्रमाण पत्र की जांच पेन्ड्रारोड और बिलासपुर जाकर की गई। आम लोगों के अलावा रिटायर्ड संयुक्त कलेक्टर पतरस तिर्की से कथन लिया गया। उन्होंने बताया कि 1966 से 1968 तक वे पेन्ड्रारोड उप तहसील में नायब तहसीलदार के पद पर थे। उन्होंने 6 जून 1967 को अजीत प्रमोद कुमार जोगी के नाम पर अपने हस्ताक्षर से सत्यापन  उपरांत जाति प्रमाण पत्र जारी किया। यह प्रतिवेदन शहडोल पुलिस ने 24 अगस्त सन् 2000 को न्यायालय में सौंपा था, जो फग्गन सिंह कुलस्ते द्वारा दायर किये गए प्रतिवाद के मामले में की गई पड़ताल का हिस्सा है।

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