अपोलो अस्पताल मे ज्वाईंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के विषय में जानकारी दी गई।

विशेषज्ञों के साथ डॉ. असाटी ने शुक्रवार बताया कि जब शरीर के अंगो के जोड़ उम्र के साथ पुराने होकर घिसने लगते हैं या हड्डियों के सिरों के सुरक्षा उत्तकों में विकार आ जाता है जिससे इनमें सूजन आ जाता है। इस अवस्था को अर्थराइटिस कहते है। जोड़ों के बदलने की प्रकिया को ही ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी कहा जाता है। आमतौर पर ऐसा घुटनों नितंबो, उंगलियों तथा कमर की हड्डियों मे होता है। इस प्रक्रिया में बेकार हुये जोड़ो को बदला जाता है।

अपोलो हॉस्पिटल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. सजल सेन ने बताया कि 22 लोग आर्थराईटिस से ग्रसित है। जिनमें 60 वर्ष व उससे अधिक वाले ज्यादा है। टोटल ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जनी के बाद इन सब तकलीफों से निजात मिल जाती है। अपोलो हॉस्पिटल में मरीज राजाराम उम्र 84 वर्ष के दोनों घुटने एवं बायें तरफ के कुल्हे का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किये करीब 3 वर्ष हो गया है उन्हे समस्या से निजात मिल गया है। दुर्गावती 58 वर्ष कवर्धा से है इनका घुटना प्रत्यारोपण लगभग 2 महीने पहले हुआ और इन्होने बताया कि उन्हें घुटने में कोई दर्द नहीं है और अब वो सामान्य रूप से चल पाती है। प्रारंभ में घुटने एवं कुल्हें के अर्थराइटिस का ईलाज दवा, फिजियाथेरेपी, सावधानियां एवं लाइफ स्टाईल मोडिफिकेशन से किया जाता है। इस बिमारी के अत्यधिक बढ़ जाने पर जोड़ प्रत्यारोपण से इस बिमारी से निजात जा सकता है। फिजियोथेरेपी विभाग के प्रमुख डॉ. विक्रम साहू ने प्रत्यारोपण के लिए सही डॉक्टर के चुनाव को महत्वपूर्ण बताया। ऑपरेशन के बाद सम्पूर्ण देखभाल एवं समय समय पर जांच आवश्यक है। जोड़ों के प्रत्यारोपण के पहले एवं बाद में फिजियोथेरेपी विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है।

 

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