बिलासपुर: हाईकोर्ट ने झीरम हत्याकांड मामले में दो आरोपी नक्सलियों की जमानत याचिका अर्जी को खारिज कर दी है। इस मामले तो गंभीरता से लेते हुए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अर्जी को खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस विमला कपूर की बेंच में हुई।

NIA ने सितंबर 2014 में आरोपी कवासी कोसा और मई 2015 में आरोपी हेड़मा मड़कम को गिरफ्तार किया था। दोनों के पास से बंदूक, डेटोनेटर और विस्फोटक पदार्थ जब्त किए गए थे। जिसके बाद से ही दोनों आरोपी जेल में है। कोर्ट में हुए 164 के बयान में आरोपियों ने झीरम हमले में लिप्त होने और हत्याकांड की बात स्वीकार की थी।

बता दें कि 25 मई 2013 को झीरम घाटी में नक्सलियों ने एंबुश लगाया था, जिसमें राज्य के दिग्गज कांग्रेसी नेता शहीद हो गए थे। इसमें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के अलावा कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर कहलाने वाले महेंद्र कर्मा और उदय मुदलियार समेत 29 लोग शामिल थे। कांग्रेस को शक है कि इस हमले के पीछे किसी तरह का राजनैतिक कनेक्शन जरूर है।

बताया जा रहा है कि झीरम हत्याकांड को लेकर NIA कोर्ट में चलान पेश हो चुका है। आरोपियों पर चार्ज भी लग चुका है और गवाहों के बयान भी लिए जा रहे हैं। अभी तक 91 में से 45 की गवाही पूरी हो चुकी है। दोनों आरोपियों की जमानत अर्जी पहले ही एनआईए कोर्ट से खारिज हो गई। इसके बाद हाईकोर्ट में यह कहते हुए अर्जी प्रस्तुत की गई कि मामले की सुनवाई में बहुत समय लगेगा, क्योंकि अभी गवाहों के बयान लिए जा रहे हैं।

NIA की ओर से अधिवक्ता किशोर भादुड़ी ने नक्सली आरोपियों की जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में NIA के मामले में सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया है। इसमें कहा गया है कि जिन आरोपियों पर चार्ज लग जाता है उनको जमानत नहीं दी जा सकती और न दी जाए। मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपियों की अर्जी खारिज कर दी।

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