बिलासपुर। कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने कहा है कि संत कालीचरण कोई साधु नहीं हैं वे आरएसएस के छोड़े हुए तीर हैं।

धान खरीदी की समीक्षा और कृषि विभाग की बैठक लेने के लिए पहुंचे शर्मा ने पत्रकारों से बात करने के दौरान कहा कि कालीचरण ने नगरीय निकाय चुनाव में किस्मत आजमाई थी, मगर सफल नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने साधु का वेश धारण कर लिया। अब वे आरएसएस के छोड़े हुए तीर हैं। साधुओं के मॉडल बन गये हैं।

शर्मा ने कहा कि धर्म संसद में में तो गया नहीं था, मगर वहां बातें बहुत अधर्म पूर्वक हुई हैं। कोई कालीचरण नाम का व्यक्ति था, जो साधु के भेष में आया था और उसने देश के महापुरुष महात्मा गांधी को गाली दी। उसने धर्म संसद को अधर्म संसद में बदल दिया। और वे इतने महावीर हैं कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भागे-भागे घूम रहे हैं। ऐसे कालीचरण लोगों से जिनके कारनामे बड़े काले हैं, देश के लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है।

केबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त शर्मा ने एक सवाल के जवाब में स्वीकार किया कि फसल बीमा करने वाली कंपनी और किसानों के बीच आम सहमति नहीं है। किसानों का फसल बीमा तो प्रति एकड़ के हिसाब से किया जाता है लेकिन उस मानदंड से मुआवजा नहीं दिया जाता। पहले पटवारी हल्का के हिसाब से फसल क्षति का मुआवजा तय किया जाता था, अब उसे गांव की इकाई में बदला गया है। यह भी संतोषप्रद नहीं है। आज की बैठक जो अधिकारियों के साथ उन्होंने ली है उसमें इस मुद्दे पर चर्चा की है। कम से कम दो बातों पर मैंने जोर दिया है कि किसानों को यह पता होना चाहिए की प्रीमियम के रूप में उनसे कितनी रकम ली गई है और बीमा भुगतान प्राप्त करने के लिए नियम और शर्तें क्या है और किस-किस स्थिति में भुगतान होगा। बीमा कंपनी और प्रीमियम के निर्धारण में केंद्र और राज्य और कंपनी तीनों के प्रतिनिधि रहते हैं। इसमें सुधार होना चाहिए यह कृषक कल्याण परिषद् चाहती भी है।

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