भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली के आधुनिकीकरण पर राज्यसभा सांसद तुलसी का व्याख्यान

बिलासपुर 27 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और छत्तीसगढ़ से राज्यसभा के सांसद केटीएस तुलसी ने आज कहा कि न्याय प्रणाली के आधुनिकीकरण में हम पश्चिमी देशों के मुकाबले काफी पीछे हैं।

उन्होंने कहा कि अनेक देशों में थानों में जब भी कोई फोन आता है तो वॉइस रिकॉर्डिंग चालू होती है और उसी को एफआईआर मानी जाती है। यही नहीं यह रिकॉर्डिंग आसपास के सभी थानों में सुनी जाती है। जरूरत के अनुसार वे भी तुरंत सक्रिय होते हैं। जैसे ही कोई दुर्घटना या आपराधिक घटना होती है तो पुलिस टीम के साथ फॉरेंसिक मोबाइल टीम भी रवाना होती है। आधे घंटे के भीतर फिंगरप्रिंट आदि संग्रहित कर लिए जाते हैं। अपराध से संबंधित सारे साक्ष्य 24 घंटे से कम समय में एकत्र कर लिए जाते हैं। इसके चलते चालान, सुनवाई और फैसलों में देरी नहीं होती।

हमारे यहां छोटे अपराधों में चालान प्रस्तुत के लिए 60 दिन का और बड़े मामलों में 90 दिन का समय तय किया गया है लेकिन अक्सर पेश नहीं होती जिसके कारण अदालतों में मुकदमों का अंबार लगता जा रहा है। यह स्थिति तब है जब भारत में सजा का प्रतिशत सिर्फ 2.9 है जबकि कई देशों में यह 48 प्रतिशत या उससे अधिक है।

अन्य देशों में यदि कोई अपराधी अपना जुर्म कबूल कर लेता है तो उसकी सजा काफी कम कर दी जाती है। वह खुद जज के सामने कहता है कि मुझे इतनी सजा दे दो तो मैं अपराध कबूल कर लूंगा। हमारे यहां न्याय प्रणाली ऐसी है कि जो दंड संहिता में लिखे हुए हैं उसी के अनुरूप स्वीकारोक्ति की परिस्थिति में सजा दी जाती है। इसके कारण भी अभियुक्त अपने अपराध को स्वीकार नहीं करते हैं और बचने की कोशिश में लगे रहते हैं, जिसके कारण मुकदमा लंबा खींचता है। निचली अदालतों में औसतन एक जज के पास प्रतिदिन इस तरह के लगभग 60 मामले आते हैं। वकील भी मान कर चलते हैं कि पेशी की तारीख आगे बढ़ेगी। संभव ही नहीं है कि कोई जज 60 मुकदमों की फाइलों को समय देकर पढ़ सकें। उन्हें एक केस के लिये केवल दो-तीन मिनट समय मिलता है। आज जेलों में भयंकर भीड़ है। यहां 80 प्रतिशत विचाराधीन बंदी हैं। सुनवाई में देरी के कारण उन्हें एक निश्चित समय सीमा में जमानत का लाभ भी नहीं मिलता है।

सीनियर एडवोकेट तुलसी ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस बारे में चर्चा की है। कम से कम छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करने के कारण मैं इस पर कुछ काम करने की इच्छा रखता हूं। मुख्यमंत्री इस बात से सहमत हैं कि जांच में विवेचना में तेजी लाने के लिए थानों में वॉइस रिकॉर्डिंग सिस्टम शुरू की जाए और फॉरेंसिक मोबाइल यूनिट ज्यादा से ज्यादा थानों में उपलब्ध कराई जाए।

महाधिवक्ता के प्रयास से दूसरी व्याख्यान-माला

महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के प्रयास से तिफरा स्थित एक सभागार में आज विधि व्याख्यान माला के द्वितीय चरण का आयोजन किया गया, जिसमें उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्यसभा सांसद के.टी.एस.तुलसी ने “भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली का आधुनिकीकरण” विषय पर विस्तृत उदबोधन दिया। उनके साथ आये हुए उनके सहयोगियों ने एलसीडी स्क्रीन के माध्यम से अनेक कानूनी बारीकियां बताईं।

महाधिवक्ता वर्मा ने मुख्य अतिथि तुलसी का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया और व्याख्यान माला के उद्देश्य को बताया। अतिरिक्त महाधिवक्ता अमृतो दास ने स्वागत भाषण दिया। उप-महाधिवक्ता हमीदा सिद्धीकी ने मंच संचालन किया। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के विधि विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अजय सिंह ने भी इस विषय पर सारगर्भित जानकारी दी। अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेकरंजन तिवारी ने सभी आमंत्रितों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, विधायक शैलेष पांडे, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष प्रमोद नायक, शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय पांडे, अनिल टाह, राजेंद्र शुक्ला, संदीप दुबे आदि अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

महाधिवक्ता कार्यालय के शासकीय अधिवक्ता, कर्मचारियों के अलावा उच्च-न्यायालय एवं जिला न्यायालय के अनेक अधिवक्ता भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। ज्ञात हो कि महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के पदभार ग्रहण करने के बाद दूसरी बार महाधिवक्ता कार्यालय के शासकीय एवं पैनल अधिवक्ताओं के ज्ञानवर्धन के लिये आयोजित यह दूसरा व्याख्यान था, जिसमें ख्यातिप्राप्त विधि विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया था।

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