पूर्व मंत्री ने परियोजना के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया को भी अवैध बताया, लाठी चार्ज की डेढ़ साल में भी जांच नहीं होने पर किये सवाल

बिलासपुर। पूर्व मंत्री व भाजपा नेता अमर अग्रवाल ने कोरोना महामारी के बीच अरपा परियोजना के लिए लोगों के घरों को तोड़ने की कार्रवाई को अमानवीय बताया है। उन्होंने कहा कि परियोजना के लिये जारी टेंडर नियम विरुद्ध है इसके लिये केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी नहीं ली गई है।

अग्रवाल ने आज अपने निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जब सरकार नहीं थी तो कांग्रेसी ढोल पीटकर कहते थे कि हम एक भी झोपड़ी उजड़ने नहीं देंगे। आज जब कोरोना महामारी के कारण किसी को भी घर से बेदखल करने की इजाजत नहीं है, 400 परिवारों को बेघर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि जिला खनिज न्यास के पैसों के आबंटन पर भड़कने वाले शहर विधायक को इन मकानों के टूटने और लोगों को बेदखल किये जाने पर गुस्सा क्यों नहीं आया? अग्रवाल ने कहा कि वे अरपा के सौंदर्यीकरण और नगर के विकास के विरोधी नहीं हैं लेकिन इस समय योजना को लागू करने के लिये झोपड़ियां गिराने की शुरूआत करने की क्या जरूरत थी। नदियों के किनारे की परियोजना के लिये केन्द्रीय पर्यावरण बोर्ड से पूर्व अनुमति की जरूरत होती है जबकि ऐसा किये बिना ही टेंडर जारी कर दिया गया है। यदि यह परियोजना नहीं रोकी गई तो इसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।

पूर्व मंत्री ने फ्री होल्ड स्कीम के तहत सरकारी जमीन के आबंटन के फैसले पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत नगर निगम सीमा की बेशकीमती जमीन को पुराना कब्जा दर्शाकर अंधाधुंध हथियाने की होड़ में लगे हुए हैं। ऐसे ही चलता रहा तो भविष्य में जनहित के निर्माण कार्यों के लिये कोई जमीन ही नहीं बचेगी।

लाठी चार्ज की जांच क्यों नहीं कराई?

अग्रवाल ने कहा कि मुझ पर आरोप लगाया गया था कि मैंने कांग्रेसियों पर लाठी चार्ज कराने का आदेश दिया। अब तो डेढ़ साल हो गये उनकी सरकार बने, अब तक इसकी जांच क्यों नहीं हुई? मुझ पर आरोप लगाने वाले इस मुद्दे पर अब कोई बयान तक नहीं देते।

अग्रवाल ने शहर से जुड़े मुद्दों पर चुनाव हारने के बाद पहली बार पत्रकार वार्ता ली। उन्होंने घोषणा कर रखी थी कि वे साल भर तक कोई आरोप नहीं लगायेंगे।

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