बिलासपुर।राज्य मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिला मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय सेंदरी बिलासपुर एवं जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय चिकित्सा अधिकारियों का मानसिक रोग पहचान एवं रिफरलर पर प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया । इसमें प्रत्येक विकासखंड से मेडिकल ऑफिसर एवं सहायक मेडिकल ऑफिसर के साथ-साथ जिला चिकित्सालय बिलासपुर के भी डॉक्टर्स ने भाग लिया ।

जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सह संयुक्त संचालक डॉ मधूलिका सिंह ठाकुर ने अपने उद्बोधन में बताया कि  मानसिक स्वास्थ्य की पहचान कैसे की जाए, उसकी पहचान क्यों जरूरी है, मानसिक स्वास्थ्य क्या है, ऐसे रोगियों के प्रति हमारा क्या नजरिया हो हमें उनके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। रोगियों को कैसे रिफरलर किया जाएगा, उनका इलाज कहां होगा उनके लिए सरकार द्वारा क्या निशुल्क सुविधाएं दी जा रही है यह भी जानकारी दी गई ।

जिला मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय सेंदरी बिलासपुर के अधीक्षक डॉ. बीआर नंदा ने जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह कार्यक्रम 2015 से हमारे प्रदेश में चल रहा है। उन्होंने वर्तमान में किए जा रहे कार्यों पर भी प्रकाश डाला ।

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष तिवारी ने डिप्रेशन, उसके लक्षण और उपचार के बारे में बताया । डॉ. तिवारी ने बताया कि डिप्रेशन का शिकार मरीज को दवा तो दें, साथ ही उसके साथ ज्यादा से ज्यादा चर्चा करें। परिवार वाले उन्हें एकांत में ना रहने दें। डिप्रेशन के शिकार मरीज अपने आपको शारीरिक क्षति पहुंचा सकते हैं जिसके लिए उनको अतिरिक्त केयर की जरूरत होती है। इसमें डॉक्टर से ज्यादा परिवार वालों की भागीदारी जरूरी है।

भेषज विशेषज्ञ डॉ.बी.आर.होतचंदानी ने ब्रेन और बिहेवियर के बारे में बताया।  उन्होंने कहा कि हमारा शरीर ब्रेन के आदेशों पर काम करता है सारा सिस्टम उसी के माध्यम से नियंत्रित होता है इसलिए हमारा दायित्व बनता है कि हम शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करें ।

स्ट्रेस मैनेजमेंट पर नर्सिंग अधिकारी एंजलीना वी लाल एवं मन: चिकित्सकीय एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत पांडे ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में बताया। यह भी बताया कि इसके सामान्य लक्षण क्या है और उसे कैसे दूर किया जा सकता है। स्ट्रेस से बचने के लिए हमें क्या करना होगा तथा स्ट्रेस को कंट्रोल करें। उन्होंने इसे खेल पद्धति के माध्यम से भी समझाया।

दूसरे दिन प्रतिभागियों को जिला मानसिक चिकित्सालय सेंदरी बिलासपुर में क्षेत्र भ्रमण कराया गया, जिसका उद्देश्य प्रतिभागियों की मानसिक स्वास्थ्य पर समझ को बढ़ाया जाना था । मानसिक रोग के मरीज को क्या-क्या परेशानी होती है इसका कोई मापक यंत्र नहीं है। डॉक्टर मरीज के परिजनों से बातकर के रोग की पहचान करते हैं। मरीज से कैसे बात की जाए, अपने सीएचसी, पीएचसी, के ओपीडी पर आने वाले मनोरोग व्यक्ति की पहचान कर आगे रिफरलर किया जाए यह बताया गया। साथ ही कार्यशाला में विशेष रूप से आत्महत्या नियंत्रण के लिए भी प्रतिभागियों को जागरूक किया गया ।

आगामी जून माह में मानसिक स्वास्थ्य पर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहांस) बेंगलुरु द्वारा ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस पर भी प्रतिभागियों का उन्मुखीकरण किया गया।

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