विश्व हाथ धुलाई दिवस पर दिया गया-सभी के लिए स्वच्छ हाथ का संदेश

बिलासपुर। वर्ल्ड हैंडवाशिंग डे पर आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों ने साबुन से हाथ धोकर स्वस्थ और स्वच्छ रहने का संदेश दिया ।

जिले की 2,763 आंगनवाड़ी केंद्रों पर वर्ल्ड हैंडवाशिंग डे के तहत आयोजित हुई हाथ धुलाई की गतिविधि को बच्चों पूरे उत्साह के अपनाया। जिले के लगभग दो लाख बच्चों के साथ उनके माता-पिता ओर अन्य अभिभावकों ने भी आंगनबाड़ी केंद्रों पर हाथ धुलाई कर कार्यक्रम में सहयोग कर अच्छी एवं स्वस्थ आदत का विकास किया ।

आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को साबुन से हाथ धोने, साफ कपड़े पहनने, केन्द्र ओर घर के आस पास सफाई रखने, स्वच्छ जीवन जीने, बीमारियों से मुक्ति पाने की जानकारी दी गई ।

इसके साथ सुपोषण चौपालों के दौरान स्वच्छता एवं स्वच्छ पेयजल विषय को पोषण के साथ जोड़ते हुए गर्भवती महिलाओं,  बच्चे, पति और माता पिता के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को हाथ धुलाई  कर स्वच्छता अभियान का संदेश भी दिया गया।

जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी नेहा राठिया ने बताया कि आंगनबाड़ियों पर हाथ धुलाई के साथ स्तनपान कराने वाली बहनों को स्तनपान 06 महीने तक पूरक आहार, आहार की विविधता, पूरक आहार के साथ समय पर टीकाकरण और स्वच्छता बनाने के लिये हाथ धुलाई के अतिरिक्त आस-पास साफ सफाई का महत्वपूर्ण संदेश भी दिया गया ।

सुपोषण मेले में स्कूली छात्राओं का सुपोषण क्विज भी आयोजित किया गया। किशोरियों को उचित खान-पान एवं आयरन की गोलियां खाने की सलाह दी गई। गंदे हाथ बच्चों में डायरिया और निमोनिया का एक प्रमुख कारण है। इन दोनों बीमारियों के कारण लाखों बच्चे अपने जान गंवा देते हैं। केवल हाथों को साफ़ रखने से ही इन बच्चों को बचाया जा सकता हैं।

नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे-चार के अनुसार, बिलास्पुर जिले में  17.8  प्रतिशत बच्चों को डायरिया (5 साल से कम उम्र के) हुआ था। इसी दौरान 2.9% बच्चों में  निमोनिया की शिकायत थी। केवल हाथ साफ़ रखने से ही इन दोनों बीमारियों से बच्चों को बचाया जा सकता है।

विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार विश्व भर में पांच साल से कम उम्र के लगभग 5.25 लाख बच्चों की मृत्यु हर साल डायरिया के कारण तथा लगभग 9.20 लाख बच्चों की मृत्यु निमोनिया के कारण होती हैं। ये दोनों बीमारियां साफ-सफाई न रखने व हाथ न धोने के कारण अधिक होती हैं। महत्वपूर्ण समय खाना बनाते या खाना खाने से पहले और शौच के बाद, साबुन से हाथ धोने से तेज श्वास संक्रमण की दर को 23 प्रतिशत और डायरिया की दर को 40 प्रतिशत से अधिक तक कम किया जा सकता हैं। एक अध्ययन से पता चलता है कि बच्चों का प्रसव कराने वाले व माताओं के साबुन से हाथ धोने से नवजात शिशु के जीवित रहने की संभावना 44 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं।

हाथ न धोने से होने वाली बीमारियों में दस्त, श्वसन संक्रमण, टाइफाइड, निमोनिया, पेट संबंधी रोग, पीलिया, आँख की बीमारी, हैजा, त्वचा संबंधी रोग आदि शामिल हैं.

शौंच के बाद, खाना बनाने व खाने से पहले, घर की साफ-सफाई करने के बाद, पालतू जानवरों के साथ खेलने के बाद, किसी बीमार व्यक्ति से मिलकर आने के बाद, छींक या खांसी के बाद, खेलने व बागवानी के बाद हाथ का धोया जाना जरूरी होता है।

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