बिलासपुर। प्रदेश भर की अदालतों में शनिवार को आयोजित नेशनल लोक अदालत को आशातीत सफलता मिली। इसमें करीब पौने पांच लाख मुकदमे आपसी समझौते से सुलझ गए। इनमें 135 करोड़ रुपये के अवार्ड पारित हुए। इन मामलों में  42,082 लंबित थे। 4 लाख 30 हजार 95 मामले प्री-लिटिगेशन के स्तर पर थे।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देश पर यह नेशनल लोक अदालत रखी गई। इसकी तैयारी चीफ जस्टिस व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संरक्षक रमेश सिन्हा के मार्गदर्शन में प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस गौतम भादुड़ी के दिशा-निर्देश पर की गई। छत्तीसगढ़ राज्य में तालुका स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में 9 सितंबरको नेशनल लोक अदालत लगाई गई। इसमें सभी प्रकार के राजीनामा योग्य प्रकरणों में पक्षकारों की आपसी सहमति व सुलह समझौता से निराकृत किये गए। उक्त लोक अदालत में प्रकरणों कें पक्षकारों की भौतिक तथा वर्चुअल दोनों ही माध्यमों से उपस्थिति मान्य की गई। अतिरिक्त मजिस्ट्रेट की स्पेशल सीटिंग के माध्यम से भी पेटी ऑफेंस के प्रकरणों को निराकृत किया गया।
नेशनल लोक अदालत में आपसी सुलह समझौता से विभिन्न न्यायालयों के माध्यम से प्री-लिटिगेशन कुल 4 लाख 30 हजार 95 मामले तथा लंबित कुल 42 हजार 82 मामलों का निराकरण किया गया, जिसमें कुल एक अरब 35 करोड़ 28 लाख 66 हजार 993 रुपये का अवार्ड पारित किया गया। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर की 3 खण्डपीठों में 78 प्रकरणों का निराकरण हुआ, जिसमें एक करोड़ 30 लाख 38 हजार रुपये का अवार्ड पारित किया गया।
नेशनल लोक अदालत की कार्यवाही का राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने दुर्ग एवं बेमेतरा में निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं के साथ साथ पक्षकारों, वित्तीय  संस्थाओं के अधिकारियों को भी लोक अदालत के फायदे बताते हुए लोक अदालत का लाभ लेने का आव्हान किया। उन्होंने महिलाओं, बच्चों एवं बन्दियों से संबंधित मामलों पर विशेष जोर देते हुए विधिक सेवा के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने की बात कही।
जस्टिस भादुड़ी ने जिला न्यायालय के दुर्ग के न्यायालयों का निरीक्षण किया गया।  इस दौरान फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के न्यायालय का एक मामला था। पति-पत्नी काफी लम्बे समय से अलग अलग रहे थे, उसमें दोनों पक्ष को एक साथ सामने बैठाकर आवश्यक समझाइश दी गई। दोनों पति पत्नी ने साथ- साथ एक ही छत के नीचे रहने का वादा करते हुए राजीनामा कर लिया। इसी प्रकार एक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में बिहार के एक प्रार्थी पर धारा 379 आईपीसी का अपराध  छत्तीसगढ़ में दर्ज था। संबंधित न्यायालय ने पुलिस चालान में उल्लेखित मोबाईल पर, उसके आधार कार्ड की कापी व्हॉटसएप के माध्यम से मंगवा कर धारा 161 सीआरपीसी का बयान वीडियो कांफ्रेंस से दर्ज किया। इस मामले में भी राजीनामा हुआ।
ज्ञात हो कि नेशनल लोक अदालत का आयोजन कोर्ट की परिभाषा में आने वाले सभी न्यायालयों यथा उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय, तहसील न्यायालय, फैमिली कोर्ट, फोरम, ट्रिब्यूनल के साथ साथ राजस्व न्यायालयों में आयोजित किए जाते हैं। सन् 2023 के कैलेंडर के मुताबिक अगली लोक अदालत 9 दिसंबर  को आयोजित होगी।

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