बिलासपुर। गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय की प्राकृतिक संसाधन अध्ययनशाला के अंतर्गत फार्मेसी विभाग में मोतिबिंद के विभिन्न कारणों पर शोध किया गया है। शोधार्थी डॉ. राजेश चौधरी ने इस विषय पर अध्ययन किया है। उनके शोध निर्देशक डॉ. सुरेन्द्र एच. बोड़के, सह-प्राध्यापक, फार्मेसी विभाग हैं।
डॉ. राजेश चौधरी, सहायक प्राध्यापक श्री शंकराचार्य कॉलेज भिलाई।

उक्त शोध प्रबंध का शीर्षक ‘‘इफेक्ट्स ऑफ एंजियोटेन्सिन रिसेप्टर स्लॉकर एंड मैग्नीशियम टौरेट इन हाइपरटेंशन इन्ड्यूस्ड ऑक्युलर डिसऑर्डर्स एंड लेंटिकुलर अल्टरेशंस” है। मधुमेह मोतियाबिंद के खतरे का प्रमुख कारण है। शोधार्थी डॉ. चौधरी ने अपने अध्ययन में पाया कि उच्च रक्तचाप भी मोतियाबिंद के खतरे को बढ़ाता है। शोधार्थी ने अपने अध्ययन के लिए सर्वप्रथम चूहों पर प्रयोग किया है। चूहों का रक्तचाप बढ़ाकर आठ से नौ माह तक अवलोकन किया गया।

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अध्ययन में पाया गया कि हाइपरटेंशन आंख के लेंस में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और आयनिक अनियमितता को बढ़ाता है, जिससे मोतियाबिंद के होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने इसकी रोकथाम के लिए औलमेस रटन और मैग्नेशियम टौरेट का इस्तेमाल किया। उन्होंने देखा कि हगाइपरटेंशन की दवाई के साथ अगर मैग्नेशियम टौरेट एक पूरक पोषण आहार हगै, जिसका नियमित इस्तेमाल करें, तो उच्च रक्तचाप के साथ-साथ मोतियाबिंद होने का खतरा काफी कम हो जाता है।  डॉ. राजेश चौधरी वर्तमान में श्रीशंकराचार्य कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंस, भिलाई में सहायक प्राध्यापक हैं।

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