प्राण चड्ढा, वरिष्ठ पत्रकार । देश मे अब बढ़कर करीब तीन हजार टाइगर हो गए। इस बार सत्य मंगलम टाइगर रिजर्व तमिलनाडु को देश का सबसे उत्तम टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है।  मध्यप्रदेश ने टाइगर स्टेट का खिताब फिर हासिल कर लिया लेकिन छतीसगढ़ में चार साल पूर्व 46 टाइगर थे और अब 19 रह गये। इसके लिए छतीसगढ़ के वन विभाग को बधाई दें या कोसा जाए समझ नहीं आता।

चार साल में 27 टाइगर कम हो गए। अब दो ही बात है, या तब की गिनतीं फर्जी थी या फिर 27 टाइगर गायब हो गये। इसके लिए जवाबदार कौन है?
वन विभाग अद्भुत है। कोई जवाब मिलेगा इसकी उम्मीद कम है। पर यह तय है कि टाइगर बचाने-बढ़ाने में हम फिसड्डी रहे। लगता है कि छतीसगढ़ में 19 बाघों का निवास नहीं, इसमें प्रवासी टाइगर भी शामिल होंगे। बीते दिसम्बर माह में अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक टाइगर जिप्सी सफारी में सड़क पर चलता मिला, यह स्वभाव यहां के टाइगर का नहीं है।

माना जा सकता है कॉरिडोर से वापस कान्हा चला गया। इस वर्ष 2018 तक की जारी ताजा गिनती के अनुसार 2967 टाइगर देश में हैं, जो 2014 के 2226 टाइगर्स के मुकाबले 33 फीसदी अधिक हैं। मध्यप्रदेश में 2014 में 308 टाइगर थे जो 70 प्रतिशत बढ़कर 2018 में 526 हो गये। छत्तीसगढ़ में सन् 2014 में 46 टाइगर थे, जो सन् 2018-19 में 60 प्रतिशत घटकर 19 रह गये हैं।

जहां तक बिलासपुर 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अचानकमार टाइगर रिजर्व की बात है यह देश के उन बीमार पार्कों में शामिल है, जहां टाइगर दिखना किस्मत की बात है। यह ऐसा टाइगर रिजर्व है, जिसमें गांव बसे हैं, जंगलों में गर्मी के दिनों में आग लगती है और वन्य जीवों को पानी के लिए भटकना पड़ता है।  रेंजर से लेकर बड़े अधिकारी तक रात को जंगल में नहीं शहर में रहते हैं। अधिकारियों की रुचि वन्य जीवों के संरक्षण-संवर्धन में नहीं फंड में दिखती है। इस लचर व्यवस्था के कारण यह शोहदों की ऐशगाह है और प्रभावशाली लोगों के लिए शहर से दूर मुफ़्तखोरी की जगह।

इसके बावजूद कोई काम करने का ज़ज़्बा रखने वाला वाला बंदा हो तो समस्त चुनौतियों के बीच वह इस पार्क को कान्हा या बांधवगढ़ की राह पर ले जा सकता है। इसके लिए फंड और सरकार का सहयोग जरूरी है।

  1. सबसे बड़ी समस्या पार्क में बसे 19 गांव हैं, इनको विस्थापित किया जाना चाहिए। इस काम की गति धीमी है।
  2. टाइगर के लिए ‘प्री-बेस’ बनाना होगा। गांव से मिली जमीन के तालाबों में वन्यजीवों के लिए गर्मी में पानी रहे। मैदानी इलाके में चीतल, सांभर के लिए खूब घास हो। जब ये सींग वाले जीव बढ़ेंगे तब पंजे वाले अन्य जीव पनपेंगे। कान्हा कॉरिडोर से आने वाले टाइगर फिर यहां बस जायेंगे।
  3. अचानकमार टाइगर रिजर्व में बिना रीढ़ वाले अधिकारी गाहे-ब-गाहे पदस्थ कर दिये जाते हैं, जो वन्यजीवों और पार्क के प्रबंधन को नहीं समझते। उनको लगता है कि उन्हें लूप लाइन में वनवास का दंड भोगने के लिए भेजा गया है। इससे पार्क में शिकार, जंगल की कटाई, शराबखोरी और जुआ बढ़ता है।
  4. गर्मी के पहले फायर प्रोटेक्शन वर्क के तहत प्रूनिंग हो और महुआ बीनने के लिए लगाई जाने वाली आग को रोकना जरूरी है।
  5. मनियारी अचानकमार पार्क की जीवन रेखा है, इस नदी के पानी को जगह-जगह रोकना होगा, इससे वन्यजीव भटकेंगे नहीं।
  6. गांव के मवेशी जंगल में चरते दिखते हैं, इस पर रोक जरूरी है।
  7. भीतरी गांवों में कुत्ते काफी हैं। उनमें शिकार की आदत होती है। इनसे बचाव किया जाये। इसी प्रकार गांव में तीर-कमान, बन्दूक और कीटनाशक का प्रयोग प्रतिबंधित किया जाये।

बड़ी बेशर्मी से दावा किया रहा कि अचानकमार में 27 टाइगर हैं। सब जानते थे कि यह संख्या सही नहीं। फर्जी आकड़ों के बल पर पार्क को आगे ले जाने का प्रयास न करें। जिम्मेदार अधिकारी हक़ीकत से मुंह न मोड़े, सवाल वन विभाग के साख का है।

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