बिलासपुर । जिले में पहली बार रागी फसल पर बीज उत्पादन ग्राम रिस्दा विकासखंड मस्तूरी के कृषक राघवेन्द्र चंदेल द्वारा 8 एकड़ में लिया जा रहा है।

कलेक्टर के मार्गदर्शन एवं दिशा निर्देश पर जिले में यह कार्यक्रम लागू किया गया है। रागी बीजोत्पादन कार्यक्रम से प्राप्त बीज का उपयोग आगामी वर्ष में अन्य कृषकों को रागी फसल उत्पादन लेने हेतु प्रोत्साहित कर क्षेत्राच्छादन वृद्धि का प्रयास किया जाएगा।

कृषि उप संचालक शशांक शिंदे ने बताया कि रागी के पोषण मूल्यों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं भारत सरकार ने इसे मानव के लिए सबसे सस्ता एवं संपूर्ण आहार माना है। वैश्विक बाजार में रागी की बढ़ती मांग को देखते हुए कई किसान रागी की खेती के लिये आकर्षित हुए हैं। रागी की बढ़ती खेती के कारण इसके बीजों की मांग बढ़ी है। खरीफ 2019 में रागी का विक्रय दर 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल तथा खरीफ वर्ष 2019 में उत्पादन कार्यक्रम अंतर्गत रागी बीज उपार्जन दर रुपये 4 हजार रु प्रति क्विंटल निर्धारित है। इस उपार्जन दर पर बीज निगम को उत्पादित बीज बेचा जा सकता है। इसके अलावा स्थानीय रूप से व्यापारियों को भी किसान विक्रय कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिय किसान इस कार्यालय के फोन नंबर 07752-426644 या विकासखंड के वरिष्ठ कृषि अधिकारी से संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

ज्ञात हो कि रागी बच्चों एवं वयस्कों के लिये उत्तम आहार हो सकता है। इसमें फाईबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम की मात्रा सर्वाधिक पायी जाती है, जिसका उपयोग करने पर हड्डियां मजबूत होती है।

रागी खरीफ एवं रबी मौसम में बोया जा सकता है। इसे हर प्रकार हल्की, मध्यम एवं भारी की मृदा में बोयी जा सकती है। पड़त या अनुपयोगी भूमि में भी यह फसल ली जाती है। खरीफ में रागी की बोनी जून की अंतिम से जुलाई मध्यम तक मानसून वर्षा होने पर की जाती है। रागी 100-120 दिन की फसल है। खेत की तैयारी मानसून आने पर खेत को दो बार हल एवं बखर से अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिये। कतार से बोवाई करने हेतु 8-10 किलो प्रति हेक्टेयर एवं छिड़का पद्धति से बोवाई करने पर 12-15 किलो प्रति हेक्टेयर बीज लगता है। रागी को अंतवर्तीय फसल के रूप में अरहर के साथ रागी की 8 कतारों के बाद अरहर की दो कतार बोना भी लाभदायक पाया गया है।

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