कितने वन्य जीव बिना आदेश जंगल सफारी रखे गए हैं, जांच कराई जाए- सिंघवी

बिलासपुर। रायपुर जंगल सफारी में दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीव पेंगोलिन को कैद रखने के मामले में दायर जनहित याचिका हाईकोर्ट ने वन विभाग के इस जवाब के बाद निराकृत कर दी कि उसे जंगल में छोड़ दिया गया है। इधर याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया है कि जिला कोर्ट के आदेश पर बंधक बनाकर रखने की बात करने वाले वन विभाग ने खुद ही पेंगोलिन को छोड़ने का फैसला कैसे लिया।

वन विभाग ने जगदलपुर में एक स्वस्थ पेंगोलिन को तस्करी होते हुए 25 अप्रैल को जब्त किया था। स्वस्थ होने के कारण उसे तत्काल जंगल में छोड़ देना चाहिए था लेकिन करपावंद के रेंजर ने सीजेएम जगदलपुर को पत्र लिखकर बताया कि यह दुर्लभ प्रजाति का वन्य प्राणी है, इसे जंगल सफारी रायपुर में रखा जाना चाहिए। मजिस्ट्रेट ने उसे वनमंडलाधिकारी जगदलपुर के माध्यम से विधि अनुसार जंगल सफारी रायपुर में रखे जाने का आदेश दिया। रेंजर ने बिना डीएफओ की अनुशंसा लिए ही इसे जंगल सफारी भेज दिया। वहां के प्रबंधन ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के आदेश लिए बिना ही इसे जंगल सफारी में रख लिया।

रायपुर के नितिन सिंघवी ने पीसीसीएफ (वन्यप्राणी) से पेंगोलिग को जंगल में छोड़ने की मांग की और बताया कि जू में पेंगोलिन की मौत हो जाती है। परंतु वन विभाग ने उसे नहीं छोड़ा।

पेंगोलिन को नहीं छोड़ने पर सिंघवी ने 24 मई को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। इसकी सुनवाई सोमवार 30 मई को हुई। वन विभाग ने हाईकोर्ट को बताया कि पेंगोलिन को 28 मई को जंगल में छोड़ दिया गया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी।

वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए नितिन सिंघवी ने कहा है कि जंगल सफारी प्रबंधन कहता रहा कि जगदलपुर कोर्ट के आदेश पर पेंगोलिन को यहां रखा गया है। बिना कोर्ट के आदेश के हम नहीं छोड़ सकते। अब जंगल सफारी प्रबंधन और पीसीसीएफ (वन्यप्राणी) बताये कि बिना कोर्ट के आदेश के उसे अब क्यों छोड़ दिया गया, पहले क्यों नहीं छोड़ा गया। जबकि उन्होंने अपने पत्र में बताया था कि सिर्फ पीसीसीएफ ही पेंगोलिग को बंधक बनाकर रखने का आदेश जारी कर सकते हैं लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। जगदलपुर के डीएफओ ने पेंगोलिन को जंगल सफारी में रखने की अनुशंसा नहीं की न ही पीसीसीएफ ने आदेश दिया, इसके बिना कैसे जंगल सफारी भेजा गया। जगदलपुर न्यायालय ने भी डीएफओ के माध्यम से विधि अनुसार जंगल सफारी में भेजने के लिए कहा था लेकिन जंगल सफारी प्रबंधन ने सिर्फ रेंजर के एक पत्र के आधार पर स्वस्थ पेंगोलिन को बंधक बनाकर रख लिया। सिंघवी ने मांग की है कि जंगल सफारी में बिना आदेश के कितने वन्यजीवों को इस तरह बंधक बनाकर रखा गया है, इसकी जांच की जाये।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here