बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में रेडी टू ईट का काम महिला समूहों के हाथ से लेकर केंद्रीकृत करने के राज्य शासन के फैसले को जनहित याचिका के जरिए चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने राज्य शासन से इस मामले में जवाब तलब किया है।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ सरकार ने रेडी टू ईट के तहत आंगनबाड़ी के बच्चों और सुपोषण के लिए किशोरियों तथा महिलाओं को दिए जाने वाले फूड का काम राज्य कृषि बीज विकास निगम को सौंपने का निर्णय लिया है। इसके तहत निर्माण और वितरण का टेंडर जारी किया जाएगा। 22 नवंबर को कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। शासन ने इसका कारण पौष्टिक आहार की गुणवत्ता को बेहतर करना बताया है।
शासन के इस निर्णय के विरोध में पांच महिला स्व सहायता समूहों की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि शासन के इस फैसले से रेडी टू ईट के काम में जुटी 20 हजार महिलाओं को अपने परिवार के पालन पोषण की समस्या खड़ी हो जाएगी। वे सन 2009 से ये काम कर रही हैं। महिला सहायता समूह द्वारा वितरित किए जाने वाले खाद्यान्न की गुणवत्ता को लेकर शासन की ओर से कभी भी उनसे शिकायत नहीं मिली है। इसके बावजूद गुणवत्ता को आधार बनाकर उनसे काम छीना जा रहा है।
चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी की डबल बेंच ने इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अगली सुनवाई 5 जनवरी को होगी।