सुनवाई अवैधानिक थी, सरकार व कंपनी ग्रामीणों को अंधेरे में रख उनका जल और जमीन हड़पना चाहती है- अमित जोगी

बिलासपुर। मस्तूरी के बोहारडीह में एसीसी सीमेन्ट को चूना पत्थर की खदान आवंटित करने के लिए रखी गई जन सुनवाई जनता कांग्रेस नेताओं के भारी विरोध के चलते स्थगित करना पड़ा। हंगामे व विरोध के बीच बिलासपुर व मस्तूरी से गये अधिकारियों को जन सुनवाई रोककर वापस लौटना पड़ा।

एससीसी सीमेन्ट से मस्तूरी तहसील के पांच गांव प्रभावित होने जा रहे हैं। इनमें बोहारडीह, विद्याडीह, टांगर, गोड़ाडीह और भुरकुंडा शामिल हैं। जन सुनवाई में बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने पहले से ही इस जन सुनवाई को अवैधानिक और ग्रामीणों की आंखों में धूल झोंकने वाला बताते हुए विरोध की घोषणा कर दी थी।


आज सुबह जन सुनवाई शुरू होने पर अमित जोगी ने कहा कि परियोजना का ब्योरा अंग्रेजी में दिया जा रहा है, जबकि यह छत्तीसगढ़ी और हिन्दी में होनी चाहिए। ग्रामीणों को गुमराह कर प्लांट लगाने के लिए सुनवाई होने की बात की जा रही है, जबकि एसीसी को चूना पत्थर का खदान आवंटित किया जाना है। अमित जोगी ने ग्रामवासियों से भी राय ली जिन्होंने इस परियोजना के विरोध का समर्थन किया। जोगी ने ग्रामीणों के बीच बैठकर सुनवाई के लिए उपस्थित प्रशासनिक अधिकारियों और कम्पनी के प्रतिनिधियों के समक्ष साक्ष्य रिपोर्ट और तथ्य रखे।

ग्रामीणों के बीच अपने भाषण में उन्होंने भूपेश सरकार और एसीसी कम्पनी पर आरोप लगाया कि ये लोग यहां के भोले-भाले किसानों की आंखों में धूल झोंककर उनका जल और जमीन हड़प लेना चाहते हैं। यह झूठा प्रचार किया गया है कि यहां सीमेन्ट की फैक्ट्री खुलेगी। तीन सौ पन्ने की रिपोर्ट में कहीं भी यह बात नहीं है।

अमित जोगी ने इन मुद्दों पर ध्यान आकर्षित कियाः-
1. पांच हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण कर 39 लाख टन चूना पत्थर का उत्खनन होगा, किन्तु जमीन के मुआवजे का दर स्पष्ट नहीं, प्रभावितों को नौकरी दी जायेगी या नहीं इसका भी उल्लेख नहीं।
2. लीलागर, शिवनाथ नदी और स्थानीय नदी नालों, तालाबों से प्रतिदिन 3.30 लाख लीटर पानी लिया जायेगा, जबकि इन गांवों के लोग ले देकर एक फसल ले पाते हैं और पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। कृषि का अस्तित्व क्षेत्र से समाप्त होने का खतरा।
3. क्षेत्रवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए रिपोर्ट में सिर्फ एक कैंटीन, एक एम्बुलेंस और एक विश्राम कक्ष का उल्लेख है जो हास्यास्पद और ह्रदयविदारक है।

अमित जोगी ने बताया कि मस्तूरी के लोगों ने गैरकानूनी, अवैधानिक व प्रक्रियाओं के विपरीत हो रही जन सुनवाई का विरोध किया और अंततः शासन को पूरी प्रक्रिया स्थगित करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि ईआईए (Environmental Impact Assessment)  को लेकर भूपेश सरकार ने मस्तूरी के लोगों को अंधेरे में रखा था। उन्होंने सरकार से मांग की कि झूठी रिपोर्ट पेश करने के लिए एसीसी के विरुद्ध अपराध दर्ज किया जाये। जन सुनवाई से पहले इसके व्यापक प्रचार प्रसार का निर्देश था, लेकिन इसे दिल्ली के अख़बार में अंग्रेजी में पिछले माह छपवाया गया। कांग्रेस भाजपा के विधायकों के नहीं पहुंचने पर सवाल करते हुए अमित जोगी ने कहा कि क्या उन्हें इसीलिये जनता ने चुना है कि शक्तिशाली ताकतों जब जनता के लिए खतरा बन जायें तो वे नदारद हो जायें। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार  से जल्द से जल्द जल उपयोगिता अधिकार पर कानून पास करने की मांग की।

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