बिलासपुर। अखिल भारतीय विद्यार्शी परिषद् ने पीएचडी शोधार्थियों की डीआरसी नहीं कराने के विरोध में गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन किया। परिषद् की मांग पर विश्वविद्यालय ने अब 12 नवंबर तक यह प्रक्रिया पूरी करने का आश्वासन दिया है।

गुरु घासीदास विवि की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ईकाई ने पीएचडी शोधार्थियों की 8 महीने से रुकी हुई डॉक्टरल अनुसंधान समिति ( डीआरसी)  की बैठक कराने के लिए विरोध प्रदर्शन किया।  केंद्रीय विवि में पीएचडी शोधार्थियों की कोर्सवर्क की परीक्षा नियमतः नवंबर 2019 में सम्पन्न होने के बाद जनवरी 2020 तक डीआरसी हो जानी चाहिए थी लेकिन 8 महीने बाद भी डीआरसी नहीं किये जाने के खिलाफ अभविप की विश्वविद्यालय ईकाई ने शोधार्थियों को लेकर प्रशासनिक भवन का घेराव किया।

विरोध को देखते हुए विवि प्रशासन ने छात्रों से बातचीत कर उन्हें शाम तक सभी विभागों को नोटिस जारी कर 12 नवंबर तक डीआरसी कराने का आश्वासन दिया। विवि की ओर से सहायक कुलसचिव अकादमिक टीपी सिंह, छात्र कल्याण अधिष्ठाता एम एन त्रिपाठी और शारीरिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष वीएस राठौर ने छात्रों से चर्चा कर धरना खत्म कराया। पीएचडी शोधार्थी लगभग एक साल से फेलोशिप की अनियमितता एवं आधिकारिक मेल आईडी की प्रशासन से मांग कर रहे हैं। विवि में पीएचडी शोधार्थियों को हॉस्टल भी उपलब्ध नहीं कराया जाता जिसके कारण आर्थिक रूप से कमजोर शोधार्थियों को बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कोरोना महामारी काल के दौरान ज्यादातर शोधार्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा जिसके लिए शोधार्थियों ने कई बार विवि प्रशासन को पत्र लिखा। इस पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

जीजीयू पीएचडी अधिनियम 2018 के तहत पीएचडी छात्रों के प्री-पीएचडी परीक्षा परिणाम के आने के बाद 2 महीने के अंदर डीआरसी आयोजित करने का प्रावधान है जिसे पूर्ण करने हेतु सभी विभाग के विभागाध्यक्षों के लिए सूची जारी की गई। इसमें 2018-19 बैच की लंबित डीआरसी 13 नवंबर 2020 के पहले आयोजित करने के लिए निर्देशित किया गया। प्रदर्शन में विश्वविद्यालय ईकाई के अध्यक्ष अमन कुमार के साथ अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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