बिलासपुर। रायपुर के सरस्वतीनगर थाना इलाके के बहुचर्चित 50 करोड़ रुपये के डाकघर घोटाले की आरोपी आकांक्षा पांडे की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है।

आकांक्षा पांडेय ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसकी सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अग्रिम जमानत का आवेदन खारिज किया गया।

ज्ञात हो कि रायपुर का भूपेंद्र पांडेय डाकघर का अधिकृत एजेंट था। उसने बीते वर्ष जून माह में बिलासपुर के उसलापुर स्टेशन में ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद उनके और उनकी पत्नी आकांक्षा पांडेय के जरिये डाकघर में एफडी खुलवाने, बचत और रिकरिंग खाते में रकम जमा करने वाले परेशान हुए। उन्होंने डाकघर जाकर पता किया तो मालूम हुआ कि भूपेँद्र पांडेय और उसकी पत्नी आकांक्षा ने उनको फर्जी पासबुक और एफडी के पेपर दिये थे। डाकघर ने इंकार कर दिया कि उन्होंने ये पासबुक और एफडी जारी किये हैं। निवेश करने वालों को सौंपे गये दस्तावेजों में नकली सील और हस्ताक्षर की बात सामने आई। डाकघर के पास पहुंची शिकायतों से खुलासा हुआ कि 5 साल के भीतर करीब 10 करोड़ रुपये से अधिक की रकम इन लोगों ने जमा कर फर्जी रसीद, पासबुक और एफडी दस्तावेज दिये हैं। रकम जमा करने वालों में रविशंकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, कर्मचारी, वकील और सीए भी शामिल हैं। फर्जीवाड़े की शिकायत जुलाई 2021 में सरस्वती नगर थाने में दर्ज कराई गई। डाकघर के अधिकारियों ने भी अपने तरीके से जांच शुरू की। इस बीच भूपेंद्र पांडेय की पत्नी आकांक्षा पांडेय फरार हो गईं। उसकी ओर से आज हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिये अर्जी लगाई गई थी, जिसकी सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच में हुई।

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