बिलासपुर। स्वामी शारदानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में रूद्रातिरूद्र महायज्ञ के पहले दिन गुरुवार की सुबह  भव्य कलश यात्रा निकाली गई। विद्यानगर निर्मला सदन से व्यापार विहार होते हुए कलश यात्रा त्रिवेणी परिसर स्थित रुद्रनगर पहुंची। इसके बाद अग्नि स्थापन एवं पूजन हुआ। यहां समस्त कलश यज्ञ स्थल में स्थापित किए गए। उसके बाद यज्ञाचार्य ने पंचांग पूजन , वेदी पूजन कर यज्ञ शाला में प्रवेश किया।  यहां वैदिक मंत्र उच्चार के साथ समस्त देवी देवताओं आह्वान किया गया। इसके बाद अरणी मंथन कर अग्नि प्रज्जवलित की गई। जिन्हें यज्ञ कुंडों में स्थापित किया गया।

दोपहर 3 बजे श्रीमद्भागवत  कथा ज्ञान यज्ञ की शुरुआत हुई, जिसमें  व्यास पीठ से आचार्य राममूर्ति मिश्र श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का रस पान करा रहे हैं। मुख्य रूप से आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद महाराज, महामंडलेश्वर विनय दास महाराज , विवेकानंद सरस्वती फिरोजाबाद, नरेंद्रानंद सरस्वती जयपुर,  देवघर बाबा धाम से आए यज्ञ आचार्य पंडित गिरधारी झा पंडित केदार झा सहित बड़ी संख्या में संत और शहर के लोग शामिल हो रहे हैं।

4 दिसंबर को सुबह 7 बजे से सभी यजमान हवन करेंगे जो दोपहर 1 बजे तक चलेगा। इसकी सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। यजमान और सभी संतों का आगमन हो चुका है जो  शुभ मुहूर्त में यज्ञ प्रारंभ करेंगे।  9 बजे से 12 बजे तक श्रीमद्भागवत कथा होगी। दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक दूसरी पाली ने श्रीमत् भागवत कथा होगी। इसके बाद फिर संत समागम होगा, जिसमें देश भर से आए संत प्रवचन देंगे।

महामंडलेश्वर विशोकानंद ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि गृहस्थ जीवन में पांच यज्ञ होते हैं। यह  रुद्रातिरुद्र महायज्ञ यज्ञ में सबसे ऊपर और सबसे बड़ा यज्ञ माना जाता है। यह बिलासपुर शहर और छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए बड़े सौभाग्य की बात है,  कि यह शारदानंद सरस्वती के संकल्प और मार्गदर्शन से बिलासपुर में आयोजित हो रहा है।

महामंडलेश्वर हरिहरानंद सरस्वती ने कहा कि जो महापुरुष होते हैं, वे अपनी प्रज्ञा से त्रिकाल दर्शी होते हैं और भूत भविष्य और वर्तमान को देख पाते हैं। यही कारण है कि शारदानंद सरस्वती ने इस महायज्ञ की कल्पना की।

कलश यात्रा में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया।  सभी श्रद्धालु मास्क लगाए हुए थे। इस दौरान जिला प्रशासन के समस्त नियमों का पालन किया जा रहा है। सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस दौरान सभी श्रद्धालु भक्तजन यजमान और संत कोरोना के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंस का पालन कर रहे हैं।

 

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