रायपुर, 7 जुलाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय में आदिम जाति कल्याण विभाग के काम-काज की गहन समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों को बस्तर अंचल के जिलों में व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र के वितरण के लिए विशेष अभियान संचालित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर अंचल के दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिले में पात्र लोगों को वन अधिकार मान्यता पत्र दिए जाने के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से विशेष कैम्प का भी आयोजन किया जाए। उन्होंने कहा कि वनांचल के लोगों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से स्थायित्व देने के लिए भूमि के उपभोग का अधिकार दिया जाना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने वन भूमि का पट्टा वितरण शुरूआत जिला मुख्यालय से लगे हुए गांवों से करने को कहा ताकि उन्हें खेती-किसानी के लिए आवश्यक मदद तथा शासन की अन्य योजनाओं से भी लाभान्वित किया जा सके। बैठक में आदिम जाति तथा अनु-सूचित जाति विकास एवं स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव आदिम जाति तथा अनु-सूचित जाति विकास  डी.डी. सिंह, आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि देवगुड़ी आदिवासियों की आस्था के केन्द्र है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा देवगुड़ियों को संरक्षित करने के साथ ही देवगुड़ी स्थल को बेहतर ढंग से विकसित किया जाना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राशि की कमी नहीं होगी। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को देवगुड़ी स्थल में आने वाले लोगों के लिए बैठक, पेयजल एवं अन्य मूलभूत सुविधाएं विकसित करने के निर्देश दिए। देवगुड़ी स्थल की भूमि को संरक्षित करने के लिए स्थानीय संसाधनों से घेरा करवाने के साथ ही वहां पर फल एवं फूल के पौधों का रोपण कराए जाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवगुड़ी स्थल में विकास के कार्य कराते समय इस बात का ध्यान रखंे की वहां जनजाति समुदाय के लोग समय-समय पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन सहजता से कर सकें। मुख्यमंत्री ने आदिम जाति तथा अनु-सूचित जाति विकास द्वारा संचालित प्रयास अवासीय विद्यालयों सहित अन्य विशेष शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययन- अध्यापन की स्थिति की भी समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने प्रयास आवासीय विद्यालय से उत्तीर्ण होने वाले ऐसे बच्चे, जिनका सलेक्शन उच्च तकनीकी शैक्षणिक संस्थाओं के लिए नहीं हो पाता है, उन्हें आगे की शिक्षा और रोजगार के लिए कैरियर गाईडेंस का सिस्टम विकसित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री में बस्तर, सरगुजा, मध्यक्षेत्र और अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण की बैठक आयोजित कर अनुशंसित विकास कार्यों को क्रियान्वित करने के निर्देश दिए।

बैठक में आदिम जाति तथा अनु-सूचित जाति विकास के सचिव श्री डी.डी. सिंह ने पॉवर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की शैक्षणिक उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बीते तीन सालों में 47बच्चों ने आईआईटी, 109 बच्चों ने एनआईटी, 244 बच्चों ने इंजीनियरिंग तथा 12 बच्चे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश प्राप्त करने में सफल रहे हैं। राज्य में वर्तमान में कुल 71 एकलव्य विद्यालय संचालित है। चार और नए एकलव्य विद्यालय प्रारंभ किए जाने हैं। 29 एकलव्य विद्यालयों को सीबीएसई कोर्स से संबद्ध किया गया है, शेष की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने तकनीकी शैक्षणिक संस्थाओं में बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए रायपुर में आवासीय प्रशिक्षण संस्था की स्थापना सहित विभागीय लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए तैयार की गई विशेष कार्य योजना की भी जानकारी दी। बैठक में आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी ने बताया कि वन अधिकारी अधिनियम संबंधित ऑनलाईन मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया जा रहा है। पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरूआत कोरबा और धमतरी जिले में की गई है।

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