नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देशभर में बिजली के झटके से होने वाली हाथियों की मौत की समस्या के संबंध में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग को लेकर दायर एक याचिका पर केंद्र व हाथी प्रभावित राज्य सरकारों को नोटिस जारी की है।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की खंडपीठ ने यह निर्देश जारी किया है।

सर्वोच्च अदालत में प्रेरणा सिंह बिंद्रा, अधिवक्ता कार्तिक शुक्ल और अभिकल्प प्रताप सिंह की ओर से याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वे उस गंभीर वास्तविकताओं की तरफ ध्यान दिलाना चाहते हैं कि हाल के दिनों में जंगली हाथियों की अप्राकृतिक मौत में खतरनाक वृद्धि हुई है, जो मुख्य रूप से बिजली के झटके लगने के कारण हो रही है। समस्या की भयावहता को पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेषज्ञों ने पहचाना था और उन्होंने पाया था कि भारत में हाथियों की मौत का सबसे प्रमुख कारण जानबूझकर अथवा आकस्मिक बिजली के झटकों के कारण हो रही है। या निष्कर्ष संसद के समक्ष प्रस्तुत भी किया गया था। सन् 2014-15 से लेकर 2018-19 के बीच 510 हाथियों की मौत रिकॉर्ड की गई थी जिसमें पाया गया कि 333 मौतें बिजली के झटकों के कारण हुई है। यानी सभी अप्राकृतिक मौतों में से दो तिहाई बिजली के झटकों से हुई। सन 2009 से लेकर 2020 तक कुल 741 हाथियों की बिजली के झटके से मौत हो चुकी है।

याचिका में मांग की गई है कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के विशेषज्ञों की 2010 में प्रस्तावित सिफारिशों को प्रभावी ढंग से लागू की जाए। साथ ही 18 जुलाई 2019 की 54 वीं बैठक में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति द्वारा स्वीकार की गई टास्क फोर्स की सिफारिशों को लागू किया जाए।

याचिका में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को तत्काल प्रभाव से अभ्यारण्य, राष्ट्रीय उद्यान, फॉरेस्ट रिजर्व, कम्युनिटी रिजर्व तथा हाथी रिजर्व क्षेत्रों के पहचाने गए गलियारों और ज्ञात क्षेत्रों से गुजरने वाली हाई वोल्टेज बिजली ट्रांसमिशन लाइनों को इंसुलेशन के जरिए रोका जाए। संरक्षित क्षेत्रों के भीतर नई बिजली लाइनें बिछाने की अनुमति केवल तभी दी जाए जब बिल्कुल कोई भी विकल्प उपलब्ध नहीं हो। साथ ही संरक्षित क्षेत्रों के भीतर और आसपास बिजली की बाड़ लगाने से रोका जाए और केवल वन विभाग की चौकियों की सुरक्षा के लिए कम वोल्टेज वाली सौर बिजली की बाड़ को अनुमति दी जाए।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि विशेषज्ञों की समिति के अलावा समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश पारित किए हैं, पर इन्हें लागू नहीं किया जा रहा है, जिससे बिजली की चपेट में हाथियों की मौत लगातार बढ़ रही है। केंद्र और राज्य सरकार ऐसा करके वन्यजीवों की सुरक्षा के अपने दायित्व को पूरा करने में सामूहिक रूप से विफल हैं।

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