बिलासपुर। इस बार होली में डॉ सी. वी. रामन विश्वविद्यालय के हर्बल गुलाल से सराबोर हुआ जा सकता है। विश्वविद्यालय के ग्रामीण उद्यमिता केंद्र ने हर्बल गुलाल उत्पादन शुरू किया है, जो पलाश, हल्दी, चंदन, सिंदूरी, मुल्तानी मिट्टी गुलाब जल, पालक और प्राकृतिक रंगों से मिलाकर देशज पारंपरिक विधि से तैयार किया जा रहा है। इसके साथ हर्बल साबुन भी तैयार किया जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा देशज पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित एवं संवर्धित करने व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला में बताया कि विश्वविद्यालय में ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना 2018 में की गई। इसके बाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन रूरल टेक्नोलॉजी फार एंटरप्रेन्योरशिप की स्थापना की गई, जो देशी ज्ञान को संरक्षित, संवर्धित करने का कार्य कर रहा है। इसके लिए बड़े क्षेत्र में हर्बल गार्डन भी तैयार किया गया है। साथ ही पारंपरिक खेती भी की जा रही है। विभाग द्वारा यहां उत्पादित की जाने वाली वस्तुओं से घरेलू स्तर पर विद्यार्थियों को देशी वस्तुओं के उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।  इस बार होली के लिए हर्बल गुलाल बड़ी मात्रा में तैयार किया जा रहा है। विद्यार्थी व अंचल के लोग हर सामान खुद ही तैयार करते हैं। खास बात यह है कि इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता। पलाश, पालक, कच्ची हल्दी का रस निकालकर, मुल्तानी मिट्टी और चुकंदर का उपयोग कर सभी जरूरी प्रक्रिया से गुजारने के बाद यह गुलाल विश्वविद्यालय में तैयार किया जा रहा है। इसमें पलाश विश्वविद्यालय में ही है, साथ ही बड़ी मात्रा में हल्दी, पालक व चुकंदर की खेती विश्वविद्यालय में ही की जाती है। ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनुपम तिवारी ने बताया कि हर्बल गुलाल तैयार करने के लिए सभी प्राकृतिक चीजें बड़ी आसानी से हमारे पास उपलब्ध हैं। विद्यार्थियों को सिखाने के साथ उत्पादन की मात्रा भी लगातार बढ़ाई जा रही है।

प्रोडक्ट जल्द ही रमन ग्रीन्स के नाम से बाजार में उतारने की तैयारी भी की रही है। विश्वविद्यालय एक बड़े हर्बल प्रोडक्ट के साथ बाजार में आप सबके सामने होगा। इसके लिए ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग को मल्टी स्किल सेंटर के रूप में विकसित किया गया है, जिससे कि अंचल के युवाओं एवं कृषकों को रोजगारपरक विभिन्न प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके। कुलसचिव ने कहा कि आने वाले समय में ग्रामीण प्रौद्योगिकी केंद्र एक राष्ट्रीय रिसोर्ट सेंटर के रूप में पहचान बनाने में सफल होगा।

 

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