बिलासपुर। जब कोई नेता, अफसर एक पौधा भी लगाता है, तब वह कई साथियों के साथ फोटो खिंचवाता हैं। पर, आज बिलासपुर की सड़कों के किनारे बहुत बड़ी संख्या में हरे-भरे फूलदार पेड़ कीटों के हमले से मर रहे हैं तब इनको कोई बचाने कोई सामने नहीं आ रहा है। पक्षियों का इन पेड़ों पर बसेरा है। उनके घोंसले सूखे पेड़ों से झांक रहे हैं। जिनके घोंसले उजड़ गये वे इन्हें छोड़कर उड़ गये हैं।

दस दिन पहले ये सूखते पेड़ कानन पेंडारी से कोटा जाने वाली सड़क पर ही दिखाई दे रहे थे। मगर अब प्रकोप शहर के भीतर पहुंच चुका है। उसलापुर रेल्वे ब्रिज से 36 मॉल, मंगला चौक तक पेड़ों की हरियाली रोज उजड़ रही है।

जानकारों के अनुसार पेड़ों पर हमला करने वाले कीटों की पहचान पाइसिनिया लूपर के रूप में की गई है जो माथ कीट का लार्वा स्टेज है। इस कीट को खत्म करने के लिये क्लोरोपाइरिफॉस और क्लोरोसाइपर का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ ब्लैक ड्रेंगो (चिड़िया) हवाई हमला कर इन विनाशकारी कीटों को चट भी कर रहे हैं, जो एक तरह का जैविक नियंत्रण का तरीका कहा जा सकता है।

फिलहाल इन कीटों का शिकार सड़कों के किनारे लगाये गये गुलमोहर, पेंटाफार्म पेड़ हैं। इस साल हुई अच्छी बारिश के असर से इन पेड़ों में भी कुछ समय तक अच्छी हरियाली दिखाई दे रही थी पर अब तेजी से ये पेड़ सूखते जा रहे हैं। बिलासपुर के अलावा सरगुजा, कोरबा, रायगढ़ में इसका प्रकोप होने से हरियाली चौपट होने की खबर है।

वन्य जीव प्रेमी व पत्रकार प्राण चड्ढा बताते हैं कि मानसून के साथ घनी हरियाली वाले पेड़ों पर ब्लैक कराउंड, नाइट हेरॉन और इग्रेट यानि बगुलों ने अपने प्रजनन काल के लिये इन पेड़ों पर घोंसलों की कॉलोनी बनाई थी। पर मानसून की विदाई से पहले ही ये पेड़ सूख गए। पक्षियों की पर्दादारी खत्म हो गयी। वे अब दिखाई देने लगे हैं। कुछ पक्षियों को समझ नहीं आ रहा,अब क्या करें। वे सूखी पतली डाली तोड़ कर घोंसले को ऊंचा बनाते दिख रहे हैं। कई पक्षियों का समूह नये ठिकाने की तलाश में निकल चुके हैं।

समस्या पर उपेक्षा का यही रुख बरक़रार रहा तो ये लाइलाज होने में देर नहीं लगेगी। सालों में खड़ी हुई हरियाली कुछ माह में सूख जाएगी। फिलहाल एक फाइल वन विभाग डीएफओ से कलेक्टर के दफ्तर भेजी गई है। इस पर क्या निर्णय हुआ है यह पता नहीं चल सका है।

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