मुंगेली। महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने तीन कम उम्र बालिकाओं की शादी परिजनों को समझा-बुझाकर रुकवा दी। इनमें से दो घटनायें लोरमी तथा एक जरहागांव की है।

जरहागांव थाने के अंतर्गत एक ग्राम में 18 वर्ष से कम उम्र की एक लड़की की शादी की सूचना मिलने पर विभाग की टीम वहां पहुंची। बालिका की शादी की वहां तैयारी चल रही थी और अगले दिन बारात आने वाली थी। टीम ने परिजनों को समझाया और उनसे बाल विवाह नहीं करने का शपथ-पत्र लिया गया। लोरमी थाने के एक ग्राम में भी नाबालिग लड़की के लिये बारात आने वाली थी। टीम ने गांव पहुंचकर परिजनों को समझाकर वहां भी परिजनों से शपथ-पत्र लिया। लोरमी थाने के अंतर्गत एक अन्य ग्राम में भी नाबालिग की शादी रोकी गई।

इन स्थानों पर टीम ने बालिकाओं के उम्र के सत्यापन के लिये शेक्षणिक प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों की जांच की। परिजनों को बताया गया कि यह बाल विवाह सामाजिक बुराई है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की जानकारी भी दी गई, जिसके अंतर्गत 18 साल से कम उम्र की बालिका व 21 वर्ष से कम आयु के बालक का विवाह कानूनन जुर्म है। इसके उल्लंघन पर दो साल के कठोर कारावास का प्रावधान है। न केवल बालिका व बालक के माता-पिता बल्कि सगे सम्बन्धियों और बारातियों पर भी बाल विवाह में शामिल होने पर एफआईआर दर्ज हो सकती है। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु-मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेन्द्र कश्यप, जिला बाल संरक्षण अधिकारी अंजूबाला शुक्ला ने जिले के लोगों से बाल विवाह नहीं कराने की अपील की है। बाल विवाह रोकथाम अभियान में संरक्षण अधिकारी छविलाल साहू, सामाजिक कार्यकर्ता अजय कंवर, आउटरीच वर्कर शनिराम पोर्ते, कमल यादव, रंजीता सिंह, चाइल्ड लाइन टीम सदस्य लक्ष्मीनारायण सोनवानी, पुलिस आरक्षक, सरपंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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