कई साल से बंद है मेटिंग, कानन पेंडारी जू में लापरवाही से लगातार हो रही मौतें

बिलासपुर। कानन पेंडारी जू में बाघिन चेरी पर बाघ भैरव ने केज तोड़कर हमला कर दिया। दोनों के बीच काफी देर तक संघर्ष चला। आखिरकार बाघ ने बाघिन की गर्दन को दबोच लिया, जिससे उसका दम घुट गया और श्वास नली फटने से मौत हो गई।

मिली जानकारी के मुताबिक रविवार की रात को बाघ भैरव और बाघिन चेरी को अलग-अलग केज में रखा गया था। आधी रात को बाघ भैरव ने केज की जाली तोड़ दी और बाघिन के कक्ष में दाखिल हो गया। इस दौरान एक दूसरे पर दोनों ने पंजे से खूब हमले किए जिसके निशान दोनों के शरीर में हैं। साढ़े 13 साल की चेरी 4 साल के बाघ भैरव के आगे पस्त हो गई। बाघ ने गर्दन दबोच लिया। इससे बाघिन चेरी की मृत्यु हो गई।

कानन पेंडारी के अधिकारियों को इस घटना का सुबह 4:00 बजे पता चला। बाघ भैरव को केयरटेकर की मदद से सबसे अलग केज में भेज दिया गया। घटनास्थल पर खून के छींटे बिखरे हुए थे। बाघिन के शव को बाहर निकालकर पशु चिकित्सकों ने वन अधिकारियों की मौजूदगी में उसका पोस्टमार्टम किया गया। बाद में शव को कानन पेंडारी के ही खाली मैदान में जला दिया गया।

उल्लेखनीय है कि कानन पेंडारी में बाघिन चेरी को महाराजा बाग जू नागपुर से 2011 में लाया गया था। यहां सन 2018 में बाघ विजय के साथ उसकी मेटिंग कराई गई थी। इससे उसके तीन शावक पैदा हुए थे। इनमें एक रंभा नाम की बाघिन है जिसने हमलावर बाघ भैरव को जन्म दिया था। कानन पेंडारी में कुछ दिन पहले बाघिन रजनी की मौत हुई थी, जिसे घायल अवस्था में अचानकमार टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू करके लाया गया था। कानन पेंडारी प्रबंधकों पर आरोप लगा कि रजनी के इलाज पर उन्होंने ठीक तरह से ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते उसकी जान चली गई। हाल ही में एक के बाद एक तीन भालुओं की कानन पेंडारी में वायरस फैलने की वजह से मौत हो गई थी। बीते 2 माह के भीतर नीलगाय, हिप्पोपोटामस सहित 10 वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। बीते साल 2021 में 20 से अधिक वन्य जीवो की मौत हुई थी। 3 साल के भीतर 50 से अधिक वन्य जीव जान गवा चुके हैं। प्रत्येक मौत पर कानन पेंडारी प्रबंधन की सफाई होती है कि आपसी लड़ाई, बीमारी और उम्र हो जाने के कारण स्वाभाविक मौतें हुई हैं। स्थिति यह है कि अधिकांश केज की हालत जर्जर है। यदि रखरखाव पर ध्यान दिया जाता तो बाघिन के कक्ष में घुसकर हमला करने की नौबत नहीं आती। कानन पेंडारी को मीडियम जी का दर्जा देने के लिए केंद्रीय जू प्राधिकरण ने प्रस्ताव मंगाया है। कई खामियों को दूर नहीं करने के कारण इस पर निर्णय नहीं हो पा रहा है। मीडियम जो की मान्यता मिल जाने के बाद कानन पेंडारी में ज्यादा फंड मिल सकेगा और जानवरों की बेहतर देखभाल हो सकेगी। पर इस दिशा में वन विभाग के अधिकारी रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

कानन पेंडारी में अभी 5 बाघ-बाघिन बचे हैं। इनके बीच मेटिंग का काम सन् 2018 से नहीं हुआ है। इसके चलते भी अनुमान लगाया जा रहा है कि बाघ-बाघिन का व्यवहार हिंसक हो गया है। इसी के चलते कल जैसी घटना आगे भी हो सकती है।

 

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