बिलासपुर। छत्तीसगढ़ चिकित्सा सेवा संचालनालय की ओर से नियुक्त मेडिकल अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य के वित्त सचिव, स्वास्थ्य संचालक व सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव से जवाब-तलब किया है।

मुख्य न्यायाधीश अरुप कुमार गोस्वामी व न्यायाधीश नरेश कुमार चन्द्रवंशी की युगलपीठ में निकिता गुप्ता व अन्य की रिट याचिका पर सुनवाई हुई। उनकी ओर से अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी व हर्षमंदर रस्तोगी ने उच्च न्यायालय के एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए यह बहस की कि किस तरह वित्तीय आदेश में संशोधन से मेडिकल ऑफिसर के प्रोबेशन पीरियड को दो वर्ष से बढ़ा कर तीन वर्ष कर दिया गया है। साथ ही प्रोबेशन पीरियड के दौरान वेतन 100 प्रतिशत से घटाकर 70, 80 व 90 प्रतिशत कर दिया गया है। याचिका में कहा गया कि यह आदेश  8 मई 2020 के विज्ञापन से नियुक्त मेडिकल ऑफिसर्स पर लागू नहीं किया जा सकता। इस सीधी भर्ती के विज्ञापन में मेडिकल ऑफिसर्स का वेतन 15,600 – 39,100 निर्धारित किया गया था। उनकी नियुक्त छत्तीसगढ़ मेडिकल ऑफिसर्स (गजिटेड) सर्विस रिक्रूटमेंट रूल्स 2013 के अंतर्गत की गई, किंतु भर्ती प्रक्रिया समाप्त होने पर नियुक्ति के ठीक पहले उसमें संशोधित वित्तीय आदेश 21-2020 निकाला गया। इसमें छत्तीसगढ़ सिविल सर्विसेज (जनरल कंडिशन ऑफ सर्विसेस) रूल्स 1061 व फंडामेंटल रुल्स में संशोधन करते हुए प्रोबेशन पीरियड भी दो वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष कर दिया गया। याचिका में कहा गया कि विज्ञापन में दी गई शर्तों का पालन नहीं करना विधि विरुद्ध व मेडिकल ऑफिसर्स के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है।

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