दो माह के भीतर दूसरी घटना, पिछले साल दो महिलाओं के शौचालयों की हो गई थी चोरी

जनपद पंचायत पेन्ड्रा में प्रधामंत्री आवास योजना का मकान चोरी हो गया। एक हितग्राही महिला के नाम पर मकान की राशि तो निकल गई लेकिन वह अब भी कच्ची झोपड़ी में है। उसने अपने परिजनों के साथ पेन्ड्रा थाने में शिकायत दर्ज करा दी है। मामले की जानकारी मिलने पर जिला पंचायत बिलासपुर के अधिकारी जांच के लिए पहुंच गए हैं, लेकिन जिन कर्मचारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है वे वहां से गायब हैं। पिछले माह इसी तहसील में एक और आवास की चोरी हो गई थी, पिछले साल स्वच्छता मिशन के तहत बनाए गए दो शौचालयों के चोरी होने की बात सामने आई थी। इन मामलों में अब तक कार्रवाई जिम्मेदार लोगों को बचाने की ही रही है।

सोमवार को गबन की जांच करने जिला पंचायत के सहायक परियोजना अधिकारी।

केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना किस तरह से बंदरबाट का जरिया बनी है, इसका ताजा मामला सामने आया है। पेन्ड्रा जनपद पंचायत के अड़भार ग्राम की फुलझरिया बाई भरिया (60 साल) ने कल अपने परिजनों के साथ पेन्ड्रा थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई कि उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की 2018-19 की सूची में दर्ज था और उसे आवास की स्वीकृति मिली थी। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार उसका मकान बन रहा है और इसके लिए उसे चेक के जरिये दो किश्तों में क्रमशः 35 हजार रुपए और 45 हजार रुपए मिल चुके हैं। वस्तुस्थिति यह है कि न तो उसे कोई चेक मिला है न ही उसका मकान ही अस्तित्व में है। जिस आवास की फोटो दिखाकर राशि निकाली गई है, वह गायब है। उसे इस चोरी का पता लगाकर आवास दिलाया जाए। अड़भार में इस वित्तीय वर्ष के लिए 72 प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हैं लेकिन मौके पर ग्राम में 71 ही मकान बन रहे हैं।

इस बारे में जानकारी जुटाने के बाद पता चला कि जिस मकान को फुलझरिया का बताकर आवास निर्माण की राशि निकाली गई है, वह किसी और की है। इसमें जो फोटो दिखाई जा रही है वह फुलझरिया की नहीं, बल्कि ग्राम की ही एक अन्य महिला उषा पाव की है। उषा पाव को दस्तावेजों में लगाए गए फोटो में फुलझरिया बाई बता दिया गया है।

पता चला है कि जनपद पंचायत के कम्प्यूटर ऑपरेटर राजेश गुप्ता, प्रधानमंत्री आवास के ब्लाक कोऑर्डिनेटर प्रकाश महिलांगे और आवास मित्र द्रौपती कैवर्त ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया है। ऑपरेटर ने दूसरी फोटो कम्प्यूटर पर डाल दी और उसे जनपद के बाकी दोनों कर्मचारियों ने प्रमाणित कर दिया। अभी यह जानकारी नहीं मिली है कि आहरित किए गए चेक की राशि का किसने आहरण किया है।

जिला मुख्यालय में इस अनोखी चोरी की शिकायत आने पर हड़कम्प मचा हुआ है। सोमवार की सुबह जिला पंचायत के सहायक परियोजना अधिकारी व प्रधानमंत्री आवास योजना के जिला समन्वयक आनंद पांडेय को मामले की जांच के लिए भेजा गया है। पांडेय ने ब्लॉक समन्वयक और कम्प्यूटर ऑपरेटर को बुलाया तो वे दोनों अपने घर व दफ्तर से गायब मिले। आवास मित्र द्रौपती कैवर्त से जानकारी जुटाई जा रही है। पांडेय ने कहा कि दस्तावेजों में गड़बड़ी कर राशि निकालने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

थाना प्रभारी अमित पाटले ने कहा है कि शिकायत को जांच में लिया गया है और उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी।

पेंड्रा जनपद पंचायत से पूर्व में ऐसी गड़बड़ियों की शिकायतें आ चुकी है।पिछले महीने गौरेला ब्लॉक के हर्राटोला गांव में भी प्रधानमंत्री आवास का एक मकान गायब हो गया। हितग्राही द्वारा शिकायत आने पर जनपद पंचायत स्तर पर ही एक जांच समिति बनाई गई, जिसमें जनपद सीईओ ने लिपिक धनसिंह राठौर को भी शामिल किया गया। इस मामले में इसकी भूमिका भी संदिग्ध थी। राशि की गड़बड़ी की बात सामने आने के बावजूद आवास मित्र और आपरेटर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई और उन्हें सिर्फ काम से हटा दिया गया था। पिछले साल मार्च 2017 में इसी ब्लॉक के ग्राम अमरपुर की दो महिलाओं बेला बाई और उसकी बेटी चंदा बाई ने स्वच्छता अभियान के तहत स्वीकृत शौचालयों की चोरी होने की शिकायत दर्ज कराई थी। उनके नाम पर स्वीकृत शौचालय की राशि निकाल ली गई पर शौचालय का निर्माण नहीं किया गया। मामला खुलने के बाद उनके लिए शौचालय तैयार करके दिया गया।

 

 

 

 

 

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