कानन पेंडारी से हो रहे स्थानांतरण को रोकने की मांग की वन्यजीव प्रेमी ने  

रायपुर। छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा कानन पेंडारी जू बिलासपुर से तीन गौर जामनगर गुजरात स्थित ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर को दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए वन मंत्री से स्थानांतरण रोकने की मांग की गई है।
लिखे गए पत्र में वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने कहा है कि यह कहकर कि कानन पेंडारी जू में इनकी संख्या अधिक हो गई है, वन विभाग इन्हें दूसरे जू को दे रहा है। इनकी संख्या दो से बढ़कर 7 हो गई है। गौर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची एक का संकटग्रस्त वन्यजीव है। ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में भी ये गौर आजीवन कैद रहेंगे। हमारे प्रदेश में जब जू में शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या अधिक हो गई थी तो हिरण जैसे वन्यजीवों को गुरु घासीदास नेशनल पार्क में छोड़ा गया। अचानकमार में भी छोड़े जाने का प्रस्ताव है। अन्य प्रदेशों से काला हिरण (ब्लैक बग) लाने के बाद बारनवापारा अभ्यारण सफलतापूर्वक, स्वतंत्र विचरण के लिए छोड़ा गया है। छत्तीसगढ़ के वनों में शाकाहारी वन्यजीवों की कमी होने से मांसाहारी वन्य जीवन जैसे तेंदुआ, बाघ इत्यादि जानवरों के लिए प्रे बेस काफी कम मात्रा में बचा है, जिससे मानव वन्य जीव संघर्ष बढ़ रहा है। बारनवापारा अभ्यारण में गौर की संख्या अधिक होने के कारण 40 गौर को शीघ्र ही गुरु घासीदास नेशनल पार्क में छोड़े जाना प्रस्तावित है। कानन पेंडारी जू में अधिक हुए इन गौर को भी साथ-साथ गुरु घासीदास नेशनल पार्क में छोड़ा जा सकता है। ऐसे में यह समझ के परे है कि जिन वन्यजीवों को हम आजीवन स्वतंत्र रहने के लिए वनों में छोड़ सकते थे उन्हें आजीवन बंधक रखने के लिए दूसरे जू में क्यों दे रहे हैं? वन मंत्री से मांग की गई है कि गौर के स्थानांतरण को रोकने का आदेश दें। साथ ही भविष्य में जिन वन्य जीवों को वनों में आजीवन स्वतंत्र विचरण करने के लिए छोड़ा जा सकता है उन्हें दूसरे जू को नहीं दिया जाए।

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