डिप्टी ट्रेजरार, प्रभारी प्राचार्य, बाबुओं सहित 12 के खिलाफ एफआईआर

कोरबा। जिले के पाली विकासखंड के हरदीबाजार उच्चतर माध्यमिक शाला में स्टाफ और कोषालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से एक करोड़ रुपये से अधिक के गबन का मामला उजागर हुआ है। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की लिखित शिकायत पर हरदीबादार पुलिस ने 12 शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों के खिलाफ चारसौबीसी का अपराध दर्ज किया है।

विकासखंड शिक्षा अधिकारी श्यामानंद साहू ने थाना प्रभारी को दी गई शिकायत में बताया गया है कि शासकीय उच्चतर माध्यमिक बालक विद्यालय हरदीबाजार में पदस्थ सहायक ग्रेड 3 ने एक करोड़ 4 लाख 6 हजार 400 रुपये का ट्रेजरी से फर्जी आहरण किया है। इसमें शिक्षा विभाग के साथ उप कोषालय के अधिकारी कर्मचारी सहित कम से कम 12 लोगों की संलिप्तता है।

पुलिस ने शिकायत दर्ज कर इनके खिलाफ अपराध दर्ज किया- हरदीबाजार स्कूल में पदस्थ ऋषि कुमार जायसवाल (वर्ममान में निलंबित), व्यासनारायण दीवाकर प्रभारी प्राचार्य (मूल पद व्याख्याता), होमनाथ भारद्वाज व्याख्याता, भोपाल सिंह नेटी भृत्य (वर्तमान में निलंबित)।

इनके अलावा सुरेन्द्र कुमार पाटले शिक्षक (एल.बी.) मिडिल स्कूल अण्डीकछार, विक्की यादव सहायक ग्रेड 3 शा.उ,.मा.वि. भिलई बाजार, (वर्तमान मं निलंबित), मनीष कुमार देवांगन उपकोषालय अधिकारी कटघोरा,  दिनेश कुमार कंवर सहायक ग्रेड  उपकोषालय कटघोरा,  संजू कुमार यादव, उपकोषालय कटघोरा,  नितेश सर उपकोषालय कटघोरा, रतन सिंह निवासी बुड़गहन बलौदा तथा कृष्ण कुमार जगत।

पूरा फर्जीवाड़ा सहायक ग्रेड 3 ऋषि जायसवाल कर रहा था। वह प्रभारी प्राचार्य का फर्जी हस्ताक्षर कर सेवानिवृत्त कर्मचारियों के खाते की रकम से देयक बनाता था और कटघोरा के उप कोषालय से रकम निकालता था। जनवरी महीने में जब उसने एक साथ 28 लाख रुपये के 8 देयक एक साथ जमा किए तो कोषालय के स्टाफ को संदेह हुआ। उन्होंने प्रभारी प्राचार्य से इन देयकों के बारे में पूछा। प्रभारी प्राचार्य व्यास नारायण दिवाकर ने इन देयकों में अपना हस्ताक्षर होने से इंकार कर दिया। प्रभारी प्राचार्य ने इन फर्जी देयकों को कोषालय से लेकर संयुक्त संचालक बिलासपुर और जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा से की। जब जांच शुरू हुई तो आरोपी बाबू जायसवाल ने भंडाफोड़ किया कि निकाली जा रही रकम में से शिकायत करने वाले प्रभारी प्राचार्य को ही नहीं बल्कि अन्य शिक्षकों, बाबुओं, चपरासियों और यहां तक ट्रेजरी ऑफिस के कर्मचारियों को भी हिस्सा मिलता था। उसने अपने बयान में बताया है कि किस-किस के खाते में कितनी रकम जमा कराई गई है।

इसके मुताबिक व्यास नारायण दिवाकर के खाते में 32 लाख 3 हजार, शिक्षक सुरेंद्र पाटले के खाते में 18 लाख 96 हजार, भृत्य कृष्ण कुमार जगत और भोपाल सिंह नेटी के खाते में 8 लाख 51 हजार, कोषालय के बाबू दिनेश कंवर और संजू कुमार यादव के खाते में 11 लाख 70 हजार, कोषालय अधिकारी नितेश को नगद 50 हजार, दीपका की बाबू बबिता राठौर के खाते में 6 लाख 9 हजार, सहायक ग्रेड विक्की यादव की पत्नी के खाते में 3 लाख 75 हजार रुपये, व्याख्याता डोमन भारद्वाज के खाते में 12 लाख 60 हजार रुपये, ट्रेजरी अधिकारी मनीष देवांगन को नगद 50 हजार रुपये तथा खुद अपने खाते में उसने 3 लाख 97 हजार रुपये जमा कराए हैं।

जांच से पता चला है कि यह रकम सेवानिवृत्त कर्मचारियों के खाते से निकाले गए हैं। इनमें  व्याख्याता खम्मन सिंह ठाकुर, प्राचार्य परमानंद कुर्रे तथा भृत्य भरत राम यादव के खाते के अलावा मृत व्याख्याता राजेश कुमार, भृत्य गणेश राम बंजारे व बाबू राजेश कुमार के फंड में जमा रकम थी।

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