नई दिल्ली। केरल सरकार ने राज्य पुलिस अधिनियम में संशोधन के लिए अधिसूचित किया है। जिसके तहत सोशल मीडिया पर कुछ भी “अपमानजनक” पोस्ट करने के लिए तीन साल तक की जेल की सजा सुनाई जा सकती है।जबिक सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में इसी तरह के कानून को खारिज कर दिया था। केरल में अब सोशल मीडिया पर कोई भी अपमानजनक पोस्ट लिखना भारी पड़ सकता है।केरल पुलिस अधिनियम में होने वाला ये संशोधन एक नया प्रावधान शामिल करता है – जो है धारा 118अ। ये कहता है “जो कोई भी किसी भी तरह के संचार, किसी भी मामले या विषय के माध्यम से किसी व्यक्ति को धमकाने, अपमानित करने या बदनाम करने के लिए कुछ भी प्रकाशित करता है तो उसे तीन साल तक की कैद हो सकती है या 10,000 रुपये के जुर्माना या सजा के रूप में दोनों दिए जा सकते हैं।

ऐसा कहा गया है कि ये संशोधन महिलाओं के आॅनलाइन उत्पीड़न पर अंकुश लगाने के लिए तीव्रता से पेश किया गया।लेकिन ये अध्यादेश अपनी अस्पष्ट और व्यापक परिभाषा के कारण सरकार के आलोचकों को निशाना बनाने के लिए पुलिस को सशक्त बना सकता है। धारा 118ए विशेष रूप से महिलाओं या बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए कोई संदर्भ नहीं देती है।

सीएम पिनाराई विजयन की अगुवाई वाली एलडीएफ सरकार की सोने की तस्करी मामले में फंसी हुई है, जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस मामले की जांच रही है। विजयन के करीबी माने जाने वाले पूर्व प्रमुख सचिव भी आरोपियों में शामिल हैं।राज्य सरकार ने कहा कि अध्यादेश केरल उच्च न्यायालय के एक निर्देश के जवाब में था जिसमें “सोशल मीडिया युद्धों” के पैदा होने पर पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने का आह्वान किया गया था।कानून केरल पुलिस अधिनियम की धारा 118 (डी) के समान है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में श्रेया सिंघल मामले में गिरा दिया था।धारा 118 (डी) ने पुलिस को किसी भी व्यक्ति को “बयान या मौखिक टिप्पणी या टेलीफोन कॉल या किसी भी प्रकार के कॉल या किसी भी तरह से संदेशों या मेलों का पीछा करके या कॉल करके” किसी भी व्यक्ति को परेशान करने का अधिकार दिया है।सुप्रीम कोर्ट ने इसे “असंवैधानिक” कहते हुए खारिज कर दिया, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इसका अभिव्यक्ति की आजादी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

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