एक दूसरे भट्ठे से 27 श्रमिकों को छुड़ा कर भ्रम फैला रहे श्रम अधिकारी, पुनर्वास राहत मिलने की संभावना नहीं

रायपुर। जम्मू कश्मीर में बंधक बनाए गए मजदूरों को छुड़ाने के लिए शिकायत के एक सप्ताह बाद भी छत्तीसगढ़ से प्रशासन की कोई टीम वहां नहीं पहुंची। स्थानीय पुलिस वहां के मजदूरों से बयान ले रही है, पर छत्तीसगढ़ से वहां कोई मौजूद नहीं है। जांजगीर-चांपा  के श्रम अधिकारी ने एक दूसरे स्थान से 27 मजदूरों को मुक्त कराने का दावा जरूर किया है, जिसकी शिकायत करीब एक माह पहले जैजैपुर विधायक केशव चंद्रा ने की थी। मजदूरों की रिहाई करने में लगे संगठन के संयोजक ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ की टीम नहीं पहुंचने के कारण मजदूरों से तोड़ मरोड़कर बयान लेने की आशंका है, साथ ही उन्हें श्रम अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार राहत भी नहीं मिलेगी।

नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बांडेड लेबर के संयोजक निर्मल गोराना ने बताया कि उन्होंने 7 सितंबर से जांजगीर-चांपा जिले के कलेक्टर को ई मेल करके बड़गांव के 191 मार्का ईंट भट्ठे में कैद 90 मजदूरों को छुड़ाने की अपील की थी। पर प्रशासन तब सक्रिय हुआ जब मीडिया में यह खबर आई। आनन-फानन में श्रम अधिकारी घनश्याम पाणिग्रही ने मीडिया में दावा कर दिया कि मजदूरों को छुड़ा लिया गया है, जबकि उन्होंने मामले को ठीक तरह से समझा ही नहीं।

बड़गांव जिले के ही एक दूसरे ईंट भट्ठे में 27 मजदूरों को बंधक बनाकर रखा गया था। इनमें से एक मजदूर पंकज किसी तरह से वहां से भाग निकलने में कामयाब हो गया था। उसने छत्तीसगढ़ पहुंचकर मजदूरों के बंधक होने की जानकारी दी थी। इस पर विधायक केशव चंद्रा ने अधिकारियों को पत्र लिखकर उन्हें छुड़ाने की बात की थी। इन मजदूरों को आज श्रम अधिकारी छुड़ाने का दावा कर रहे हैं, जबकि बड़गांव जिले के चरेड़ा थाने के मगरेपुरा गांव में कैद 21 परिवारों के बारे में उन्होंने कोई जानकारी ही नहीं ली। मजदूर लगातार उन्हें रो-रोकर फोन पर अपनी व्यथा बता रहे थे और जल्दी छुड़ाने की गुहार लगा रहे थे। वे घबराकर बता रहे थे कि ईंट भट्ठे का मालिक बलपूर्वक मारपीट कर उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट करना चाह रहा है। इस पर गौराना ने बड़गांव के डिप्टी कमिश्नर से बात की। उन्होंने रात में करीब 8.30 बजे ईंट भट्टे में जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक टीम को भेजा था। आज सुबह से उनका बयान लिया जा रहा है। पर सवाल छत्तीसगढ़ से किसी टीम का ईंट भट्ठे पर नहीं पहुंचने को लेकर उठ रहा है। ईंट भट्ठे का मालिक प्रशासन के साथ मिलकर मामले को रफा-दफा करने में लगा हुआ है। छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के नहीं होने के कारण मजदूर हिम्मत के साथ नहीं बोल पाएंगे और न ही अपने लिए मुक्ति प्रमाण पत्र की मांग कर सकेंगे। इसलिये इन्हें लौटने के बाद श्रम अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पुनर्वास राहत भी नहीं मिलेगी। पूर्व में जो मजदूर छुड़ाए गए उन्हें पुनर्वास कानून का लाभ नहीं मिला है, जिसके चलते कई लोग फिर किसी ईंट भट्ठे में लौट जाते हैं और फिर बंधुआ मजदूर बन जाते हैं।

गौराना ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस संबंध में जानकारी देते हुए पत्र लिखा है और मांग की है कि छत्तीसगढ़ के  प्रवासी मजदूरों की समस्या का समाधान निकाला जाए। वे पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को भी इस संबंध में कई पत्र लिख चुके हैं। वर्तमान सरकार से उन्हें इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाने की अपेक्षा है।

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