बिलासपुर। लम्बे लॉकडाउन के कारण मानसिक अवसाद से घिरे मुम्बई में रह रहे बिलासपुर जिले के एक युवक ने बिलासपुर कलेक्टर को फेसबुक पर मैसेज कर मदद की गुहार लगाई।  कलेक्टर ने संवेदनशील प्रशासक होने का परिचय देते हुए फोन पर ही युवक की मनोचिकित्सक से काउंसिंग कराई। परामर्श और दवाईयों का सुझाव मिलने के बाद युवक अब बेहतर महसूस कर रहा है। युवक ने कलेक्टर और जिला प्रशासन के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।

कोरोना संक्रमण के कारण इस समय पदेश में लॉकडाउन चल रहा है। जिले के प्रशासनिक अधिकारी नियमित दायित्व के अतिरिक्त लोगों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी की जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं।

गुरुवार की रात फेसबुक मैसेंजर पर बिलासपुर कलेक्टर डॉ. संजय अलंग ने एक संदेश पढ़ा। इसमें एक युवक ने लिखा था कि वह करगीरोड कोटा ब्लॉक के करगीखुर्द गांव का रहने वाला है जो इस समय मुम्बई में कॉपी राइटर का काम कर रहा है। उसने बताया कि वह मुम्बई में अकेला है और भावनात्मक रूप से खुद को बहुत ज्यादा कमजोर महसूस कर रहा है। मुम्बई में अधिकांश अस्पताल या तो बंद हैं और जो खुले हैं उनमें डॉक्टर नहीं हैं।

भावनात्मक रूप से टूटा हुआ प्रतीत हो रहे इस युवक को कलेक्टर ने तुरंत सहायता पहुंचाने की पहल की। उनके निर्देश पर राज्य मानसिक चिकित्सालय के डॉ. आशुतोष तिवारी ने उस युवक से फोन पर काउन्सिलिंग करते हुए उसका मनोबल बढ़ाया और आवश्यक दवाईयां लेने के लिए कहा।

इस प्रकरण में समन्वय कर रहे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सहायक विजय सिंह ने बताया कि उक्त युवक ने आज दुबारा संदेश भेजकर कलेक्टर, उन्हें काउन्सलिंग देने वाले चिकित्सकों तथा जिला प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि अब वह खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस कर रहा है, उसे लग रहा है कि वह छत्तीसगढ़ में ही अपनों के बीच में है। छत्तीसगढ़ की सरकार गंभीर संकट के समय इस तरह से भी लोगों की मदद कर रही है, जो सराहनीय है।

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