बिलासपुर। हाईकोर्ट ने बिलासपुर में कोरोना लैब टेस्ट स्थापित करने के लिए राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से 27 अप्रैल को अवगत कराने के लिए कहा है।

हाईकोर्ट में जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस गौतम भादुड़ी की डबल बेंच ने आज लगातार दूसरे दिन बिलासपुर में कोरोना टेस्ट लैब स्थापित करने को लेकर सुनवाई की। केन्द्र सरकार की ओर कोर्ट को बताया गया कि एम्स, दिल्ली द्वारा बिलासपुर में कोरोना टेस्ट लैब की स्थापना के लिए 48 घंटे के भीतर अनुमति दी जा सकती है बशर्तें इसके लिए चिन्हित किये गये अस्पताल में आधारभूत संरचना तैयार कर लिया जाये। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि सिम्स में वर्तमान में मूलभूत सुविधायें उपलब्ध नहीं है। इसके लिए मशीन तत्काल स्थापित नहीं किये जा सकते क्योंकि इन्हें आयात करने की आवश्यकता है। केन्द्र सरकार की शर्तों के मुताबिक निजी अस्पताल में जांच केन्द्र खोला जाना संभव नहीं है। इसलिये स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने शहर के निजी अस्पताल आरबी अस्पताल में जांच केन्द्र शुरू करने का प्रस्ताव वापस ले लिया है।

हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार के जवाब को विरोधाभासी पाया। कोर्ट ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जगदलपुर जैसी जगह पर कोरोना टेस्ट की सुविधा दिलाई जा सकती है तो फिर बिलासपुर में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने राज्य और केन्द्र सरकार पर इस सम्बन्ध में साथ मिलकर निर्णय लेने के लिए कहा है और 27 अप्रैल को इसकी अगली सुनवाई तय की है।

छत्तीसगढ़ में तबलीगी जमात से जुड़े लोगों और उनके संपर्क में आये लोगों के बारे में राज्य शासन की ओर से पेश किये गये जवाब पर भी 27 अप्रैल को सुनवाई होगी। इसके अलावा कोर्ट में कोरोना संक्रमण को लेकर स्वास्थ्य सम्बन्धी और गरीब, मजदूरों को राहत पहुंचाने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट के जूनियर अधिवक्ताओं, हाईकोर्ट के पंजीकृत क्लर्कों तथा फोटोकॉपी संचालकों की ओर से भी आर्थिक सहायता की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई हैं। इन सभी मामलों पर 27 अप्रैल को ही हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।

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