बिलासपुर। तखतपुर ब्लॉक के गनियारी में पांच रुपये में घर जैसा स्वादिष्ट भोजन पांच रुपये में मिल रहा है। यहां मल्टी स्किल सेंटर के  ‘आजीविका आंगन’ में प्रशिक्षण लेकर रोजगार करने वाली महिलाओं के अलावा जन स्वास्थ्य सहयोग के अस्पताल में आये निम्न आय वर्ग के मरीजों के परिजनों को भी इसका लाभ मिल रहा है।

कलेक्टर डॉ.संजय अलंग की पहल पर गनियारी के आजीविका आंगन में श्रम विभाग ने शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न सहायता योजना के तहत इसे संचालित कर रखा है। यहां पांच रुपये में गर्म दाल, भात, सब्जी और चटनी मिल जाती है। इतनी कम राशि में घर जैसा भोजन भरपेट खाकर महिलायें तृप्त हो रही हैं।

आजीविका आंगन में अगरबत्ती निर्माण का प्रशिक्षण लेकर यहीं अपना व्यवसाय करने वाली नेवरा की चमेली साहू ने बताया कि वह सुबह 10 बजे अपने काम पर पहुंच जाती हैं। दोपहर तक टिफिन में लाया हुआ उसका खाना ठंडा हो जाता था। लेकिन अब परिसर में ही गर्म खाना मिल रहा है। रोज टिफिन तैयार करने में समय लगता था और उसका खर्च भी अधिक था। अब यहां गर्म खाना मिल जाने से अपने काम पर ज्यादा ध्यान दे पा रही है।

गनियारी की संतोषी सूर्यवंशी प्रशिक्षण लेकर स्कूल ड्रेस सिलाई करती है। अपने काम में आने के पहले सुबह परिवार के लिये भोजन बनाती है। जल्दबाजी में उसे खाने का समय नहीं मिलता। होटल में खाना महंगा पड़ता है। अब वह यहां पांच रुपये में भरपेट खाना खा रही है। ग्राम भरारी की रजनी वस्त्रकार प्रशिक्षण लेकर चूड़ी निर्माण के व्यवसाय से जुड़ गई हैं। वह भी सुबह घर से खाना लेकर आती थी। उसके साथ में छोटा बच्चा भी आता है। उसका लाया खाना ठंडा हो जाता है। जिसे उसे बेमन से खाना और बच्चे को भी खिलाना पड़ता था। सरकार के इस योजना से वह बहुत संतुष्ट है।

ग्राम पेण्डारी कीसरिता वस्त्रकार बैग निर्माण का प्रशिक्षण ले रही है। उसका गांव दूर है, इसलिये उसे जल्दी निकलना पड़ता है। इस जल्दबाजी में उसे दोपहर का खाना नहीं मिलता। अब उसे भी समय पर भोजन मिल रहा है।

श्रम विभाग के इस योजना से गनियारी जन स्वास्थ्य सहयोग केन्द्र में इलाज के लिये आने वाले गरीब मरीजों के परिजनों को भी लाभान्वित किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले से सुरेश सिंह अपने पेट की बीमारी का इलाज कराने आये हैं। पिछले 12 दिन से उसके साथ आये परिजन धर्मशाला में चूल्हा जलाकर खाना बना रहे हैं। इससे उन्हें बहुत असुविधा हो रही है। उन्हें भी पांच रुपये में गर्म भोजन यहां मिल रहा है।

मध्यप्रदेश के ही अनूपपुर की मुन्नी बाई बीते आठ दिन से परिसर में चूल्हा जलाकर खाना बना रही है, जिसके लिये वह लकड़ी भी अपने गांव से साथ लेकर आई है। उसका पति अस्पताल में भर्ती है। चूल्हे में जैसे-तैसे खाना बनाकर  अपना पेट भर रही मुन्नी बाई को बहुत दिन बाद घर जैसा खाना  मिला।

इस योजना के संचालन से गरीब और मजदूर एक समय की भोजन की चिंता से मुक्त हो गये हैं।

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