प्रो. कृष्ण दत्त वाजपेयी जन्मशती पर डिडिनेश्वरी मंदिर परिसर में  संगोष्ठी

ऐतिहासिक नगरी मल्हार में पुरा-विशेषज्ञों के बीच राष्ट्रीय स्तर के पुरातत्व संग्रहालय की मांग की गई है।  पुरा विशेषज्ञों और छतीसगढ़ संस्कृति विभाग के अधिकारियों के सम्मुख इस अंचल में प्राचीन धरोहर के संरक्षण की चाह करने वालों ने रखी।
संचालनालय संस्कृति विभाग एवं पुरातत्व रायपुर के तत्वावधान में प्रो. कृष्ण दत्त वाजपेयी जन्मशती स्मृति में आयोजित तीन दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन मल्हार में मां डिडिनेश्वरी मंदिर परिसर में हुआ। मालूम हो कि मल्हार और उसके आसपास कलचुरि कालीन और उसके पहले की शैव,शाक्त,जैन व बौद्ध प्रतिमाएं मिल चुकी हैं।
इसके पहले, रायपुर में चल रही संगोष्ठी में शिरकत कर रहे विषय विशेषज्ञ और शोधार्थियों का काफिला मल्हार पहुंचा, उन्होंने, देऊल मन्दिर का निरीक्षण किया और फिर मल्हार के प्रसिद्ध शैव पातालेश्वर मन्दिर का अवलोकन किया। यहां एक छोटा साइट म्यूजियम बना है, जिसमें अमूल्य प्राचीन धरोहर संरक्षित है। मन्दिर परिसर में कई प्रतिमाएं मौसम की मार खा रही हैं।
मल्हार और उसके इर्दगिर्द गांव में पुरा का खजाना है, जो छतीसगढ़ की संस्कृति औऱ इतिहास की बिखरी कड़ी है। इसे संरक्षण देने अब बड़े म्यूजियम की आवश्यकता है।
यहां पहुंचे विद्वानों ने धरोहर संरक्षण में लगे स्थानीय जनों की तारीफ की और कहा इस इलाके के विकास और पर्यटन इस तरह हो कि यह प्राचीन सम्पदा सुरक्षित बनी रहे। यहां मल्हार उत्खनन से जुड़े सागर विश्वविद्यालय के डॉ के के त्रिपाठी का अभिनंदन किया गया।
संगोष्ठी के प्रथम दिन रायपुर में मुख्य रूप से प्रोफेसर कृष्ण दत्त बाजपेयी के व्यक्तित्व और कृतित्व तथा उनसे जुड़े संस्मरण रखे गए। दूसरे दिन मुख्यतः मल्हार के पुरातत्व और उत्खनन से जुड़े शोध पत्रों का वाचन हुआ और समापन बिलासपुर से तीस किमी दूर मल्हार में हुआ।
आयोजन के सूत्रधार,संस्कृति विभाग के राहुल सिंह थे। संगोष्ठी में डॉ.एएल श्रीवास्तव डॉ केके त्रिपाठी,डॉ चंद्र शेखर गुप्त, डॉ. दिनेश नंदिनी परिहार, डॉ ए एल पाठक, जी एल रायकवार, एस एस यादव, डॉ शम्भूनाथ यादव, डॉ बी चौधरी, नीरज तिवारी उपस्थित थे। समापन दिवस पर मल्हार के संजीव पांडेय, ओम प्रकाश पांडेय, राजेश पांडेय, शंकर चौबे बालमुकुंद वैष्णव, लैनुराम कैवर्त्य, पुर्णेंद्र तिवारी, ठाकुर सुरेंद्र सिंह और अध्यक्ष नगर पंचायत मल्हार ने भागीदारी निभाई।

( आलेख व चित्र- साभारः प्राण चड्ढा)

 

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