जांजगीर जिले में पदस्थ मुंगेली निवासी पुलिस जवान पुष्पराज सिंह की मौत का मामला

बिलासपुर। जांजगीर जिले में पदस्थ आरक्षक पुष्पराज सिंह के परिजनों ने प्रशासन द्वारा दी जा रही अनुग्रह राशि लेने से मना कर दिया है और उसकी मौत को सुनियोजित साजिश बताते हुए मुख्यमंत्री व गृहमंत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। विधायक धर्मजीत सिंह ने भी हत्या का संदेह जताते हुए घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है। इधर जिला प्रशासन ने मामले की दंडाधिकारी जांच एसडीएम को सौंपी है।

पुलिस आंदोलन के समर्थन, वरिष्ठ अधिकारियों की सोशल मीडिया पर आलोचना व मुख्यमंत्री राहत कोष में अपने एक साल का वेतन देने की वजह से चर्चा में रहे सक्ती में पदस्थ आरक्षक पुष्पराज सिंह की गुरुवार की रात 12.30 बजे जांजगीर में संदिग्ध रूप से एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। एक दिन पहले ही उसने सक्ती के थानेदार रविंद्र अनंत के खिलाफ फेसबुक में पोस्ट डाली थी, जिसमें आरोप लगाया था कि थानेदार एक लाख रुपये महीना लेकर जुए का अड्डा चलाते हैं। पहले कई पोस्ट में आरक्षक अपनी जान का खतरा, निलंबन और बर्खास्तगी का आरोप लगाता रहा है। इस बीच यह जानकारी भी आई है कि बीते 30 अप्रैल को बिना सूचना दिए पुष्पराज सिंह ड्यूटी से गायब था, जिसकी जांच 7 मई को एएसपी संजय महादेवा ने पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर शुरू की थी। इसके अलावा एक अन्य बिंदु पर भी जांच हो रही थी जिसमें उसने मुलमुला के थानेदार को आरक्षक द्वारा थप्पड़ मारने की सोशल मीडिया पर तारीफ की थी।

परिवार के लोगों ने उसकी मौत को दुर्घटना मानने से इन्कार किया है और इसकी जांच कराने की मांग की है।

पुष्पराज सिंह की मौत की मुंगेली जिले के लोरमी से विधायक धर्मजीत सिंह ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि होनहार आरक्षक अपने ही विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार के मुद्दों को सोशल मीडिया के माध्यम से उठाता रहा है। इससे उसके अचानक मौत से आशंकाएं पैदा हो रही है। मौत का रहस्य सामने लाने के लिये उच्चस्तरीय जांच जरूरी है।

जांजगीर-चाम्पा कलेक्टर ने पुलिस अधीक्षक की अनुशंसा के बाद जांजगीर की एसडीएम मेनका प्रधान को दंडाधिकारी जांच का निर्देश दिया है। प्रधान इस समय होम आइसोलेशन पर हैं जिसके कारण जांच शुरू नहीं हुई है। अवकाश से लौटने के बाद जांच शुरू किए जाने की बात की गई है। जांच के बिंदुओं में आरक्षक की मृत्यु का कारण, मृत्यु के लिए कोई दोषी है या नहीं, क्या किसी संदिग्ध परिस्थितियों के अधीन मौत हुई या प्राकृतिक मौत हुई, शामिल किये गये हैं।

 

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